Banka News : संजीव पाठक, बौंसी. विश्व प्रसिद्ध मंदार को पर्यटन के मानचित्र पर लाने के लिए विभाग द्वारा मंदार पर्वत का सौंदर्यीकरण कर आधुनिक लुक दिया जा रहा है. इसके लिए सरकार करोड़ों राशि खर्च कर रही है. बावजूद मंदार की तराई में अवस्थित 15 वर्ष पूर्व बने मुक्तिधाम की स्थिति दयनीय है. यहां पर पेयजल, शेड, बिजली आदि मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं. खासकर बिजली व सोलर लाइट की कोई व्यवस्था नहीं रहने के कारण रात के अंधेरे में ही चिता सजानी पड़तीहै. चिता के लिए लकड़ी की यहां कोई व्यवस्था नहीं रहने के कारण परिजनों को लकड़ी भी अपने साथ ही लानी पड़तीहै. ऐसे में मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार के लिए आने वाले लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
पीएचईडी ने बनाया था मुक्तिधाम
बांका के बौंसी में पीएचईडी द्वारा 15 वर्ष पूर्व करीब 40 लाख की लागत से यहां मुक्तिधाम का निर्माण कराया गया था. इसमें शव को जलाने के लिए 4 सीमेंटेड स्टैंड, शेड, सिटिंग बेंच, महिला व पुरुष के लिए अलग-अलग शौचालय, चापाकल व सोलर प्लेट आदि लगाया गया था. वर्तमान में मात्र एक चापाकल चालू है. शेड, स्टैंड सहित अन्य सुविधा नदारद है. फिलवक्त इस जगह कूड़े का अंबार लगा हुआ है. गंदगी के बीच किसी तरह लोग अंतिम संस्कार करने को विवश हैं. बताते चलें कि पीएचईडी द्वारा इसका निर्माण पूर्ण कराकर बौंसी अंचल के अधीन किया जाना था. लेकिन संवेदक द्वारा हैंडओवर करने से पूर्व ही यह पूरी तरह से जर्जर हो गया है. विभाग की मानें तो इनकी फाइल ढूंढ़नीहोगी. फिलवक्त हैंडओवर के मामले में पेच फंसा हुआ है.
प्रदूषित हो रही हैं देवभूमि मंदार
मंदार में मुक्तिधाम के आसपास खुली जगह पर प्रत्येक दिन शव का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. लेकिन शव का राख ठिकाने नहीं लगाने के कारण बरसात के दिनों में इसका प्रदूषित पानी सीधे पापहारिणी सरोवर में प्रवेश कर जाकाहै. इससे पापहारिणी सरोवर सहित पूरा मंदार क्षेत्र प्रदूषित हो रही है. वहीं शव जलाने से सरोवर के पश्चिमी छोर में काफी दुर्गंध आती है. इस वजह से सैलानी इस ओर जाने से भी कतराते हैं.
राजस्व का भी हो रहा नुकसान
बौंसी नगर पंचायत का गठन हुए तीन वर्ष बीत चुके हैं. बावजूद नगर पंचायत की ओर अब तक कोई सार्थक कदम नहीं उठाया गया है. नगर पंचायत बनने के पूर्व अंचल द्वारा प्रति शव 101 रुपये की रसीद काटी जाती थी. एक अनुमान के मुताबिक यहां प्रतिमाह 10 से 12 हजार रुपये की राजस्व प्राप्ति होती थी. परंतु नगर पंचायत चुनाव होने के बाद यहां रसीद कटना बंद हो गया है. इसकी जानकारी नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी को भी नहीं है. जबकि अब तक यहां तीन कार्यपालक पदाधिकारी बदले जा चुके हैं. नपं बोर्ड की बैठक में इसकी चर्चा तक नहीं हुई है.
हैंडओवर के मामले में पीएचईडी खोज रहा फाइल
15 वर्ष पूर्व बना मुक्तिधाम संवेदक द्वारा हैंडओवर किया गया है या नहीं, इसकी जानकारी पीएचईडी को नहीं है. कार्यपालक अभियंता अमरलाल रजक ने बताया है कि मामला पूर्व का है. फाइल खोजने के बाद इसकी सच्चाई की जानकारी मिल पायेगी. वहीं नपं के कार्यपालक पदाधिकारी आतिश रंजन ने बताया कि पीएचईडी व अंचलाधिकारी से इस संबंध में बात की जायेगी. हालांकि बोर्ड की अगली बैठक में मुक्तिधाम को बेहतर करने का प्रस्ताव लिया जायेगा.