Banka News : रासायनिक खाद की खपत होगी कम, जिले में तैयार होंगे जैविक उर्वरक
बांका जिले में 443 वर्मी कंपोस्ट इकाई व दो बायोगैस इकाई का निर्माण किया जायेगा. रासायनिक खाद की खपत कम करने की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. इससे किसानों को पौष्टिक फसल की प्राप्ति होगी.
Banka News : बांका. आज अधिकांश खेती रासायनिक खाद के भरोसे हो रही है. इसका दुष्परिणाम मानव शरीर पर दिखने लगा है. लोग बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं. यह पर्यावरण के लिए काफी घातक साबित हो रहा है. इस बाबत कृषि विभाग ने रासायनिक खाद पर खेती की निर्भरता कम करने की योजना बनायी है. रासायनिक खाद के विकल्प में जैविक उर्वरक को बढ़ावा दिया जायेगा. इसके लिए चतुर्थ कृषि रोड मैप के तहत जैविक खेती प्रोत्साहन कार्यक्रम लाया गया है. इस योजना के तहत जिले में 443 पक्की वर्मी कंपोस्ट इकाई का निर्माण कराया जायेगा. जबकि दो बायोगैस इकाई भी स्थापित की जायेगी. यहां से तैयार उर्वरक किसान अपने खेतों में इस्तेमाल करेंगे. ताकि मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि हो. साथ ही फसल भी अधिक पौष्टिक व शुद्ध मिल सके. विभाग का मानना है कि जैविक उर्वरक का प्रयोग करने से पर्यावरण का संरक्षण होगा और फसलों के लागत मूल्य में भी कमी आयेगी.
50 प्रतिशत अनुदान पर लाभ
एक पक्की वर्मी कंपोस्ट इकाई के निर्माण में करीब 10 हजार रुपये की लागत आयेगी. सरकार इस पर किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान यानी 5 हजार रुपये भुगतान करेगी. इस योजना में वैसे किसान, जो खेती कर रहे हैं और साथ में पशुपालन भी करते हैं हैं, उन्हें अधिकतम तीन पक्की वर्मी कंपोस्ट इकाई का लाभ दिया जायेगा. यह इकाई 75 घन फीट क्षमता की होगी. इसका निर्माण स्थायी तौर पर किया जायेगा. बांका में 443 पक्की वर्मी कंपोस्ट इकाई निर्माण की स्वीकृति दी गयी है. जबकि दो बायोगैस यानी गोबर गैस इकाई का भी निर्माण इस जिले में होना है. किसानों को दो घनमीटर क्षमता की बायोगैस इकाई बनानी होगी. इसमें भी कुल लागत का 50 प्रतिशत यानी अधिकतम 22500 रुपये एक लाभुक को प्रदान किये जायेंगे. अनुदानित राशि का भुगतान डीबीटी के माध्यम से किया जायेगा.
पहले आओ, पहले पाओ के तर्ज पर योजना का लाभ
इन दोनों योजनाओं का लाभ पहले आओ, पहले पाओ के तर्ज पर दिया जायेगा. किसानों को इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए विभागीय पोर्टल यानी डीबीटी एग्रीकल्चर.बिहार.जीओवी.इन पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा.