Banka: देश में वन नेशन-वन इलेक्शन पर विचार चल रहा है. पर, एक समय ऐसा भी हुआ करता था कि जब लोकसभा के साथ ही विधानसभा की सभी सीटों का चुनाव कराया जाता था. मतदाता एक साथ अपने क्षेत्र के सांसद और विधायक चुनते थे. इतना ही नहीं बांका में कई एक विधानसभा क्षेत्र भी थे, जहां से दो-दो विधायक निर्वाचित होते थे. इस कड़ी में बांका लोकसभा क्षेत्र के साथ-साथ विधानसभा क्षेत्र का इतिहास भी रोचक रहा है. यहां कभी एक विधानसभा क्षेत्र से दो-दो एमएलए चुने जाते थे.भितिया के जेपी सेनानी कृष्णदेव सिंह बताते हैं कि 1952 और 1957 के विधानसभा चुनाव में दो-दो एमएलए की परंपरा का निर्वहन किया गया था. ऐसा इसलिए किया गया था, ताकि वंचित वर्ग को भी सदन में हिस्सेदारी मिले. चूंकि शुरुआती चुनाव में सीट आरक्षण की व्यवस्था अपेक्षा के अनुसार नहीं हो पायीथी. उसके मुताबिक कटोरिया व अमरपुर से दो-दो विधायक चुने जाते थे. खास यह कि एक एमएलए सामान्य सीट और दूसरा अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से आता था. कटोरिया में एक सामान्य, तो दूसरा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित था. वहीं अमरपुर में एक सामान्य वर्ग दूसरा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था. हालांकि, 1962 के विधानसभा चुनाव से ही दो-दो विधायक की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया. इसी चुनाव से एक विधानसभा में एक विधायक निर्वाचित होने लगे.
Banka: बांका जिले में थे तीन विधानसभा क्षेत्र
संविधान गठन के बाद हुए चुनाव के दौरान चुनावी क्षेत्र काफी बड़ा हुआ करता था. 1952 में बांका का यह भू-भाग भागलपुर दक्षिणी लोकसभा का हिस्सा था. उस समय सुषमा सेन यहां से सांसद निर्वाचित हुई थीं. बांका अंतर्गत तीन विधानसभा क्षेत्र थे, जो कटोरिया-बेलहर, अमरपुर व बांका हुआ करते थे. कटोरिया में ही बेलहर का क्षेत्र आता था. यानी कटोरिया के अंतर्गत बेलहर, चांदन, बौंसी के अलावा शंभुगंज प्रखंड का कुछ हिस्सा था. अमरपुर के अंदर अमरपुर धोरैया, रजौन के साथ शंभुगंज का शेष हिस्सा हुआ करता था. हालांकि, 1957 में ही धोरैया विधानसभा क्षेत्र अलग होने की जानकारी मिलती है, जबकि बांका में बांका प्रखंड ही केवल था, उस समय बाराहाट का निर्माण नहीं हुआ था.कौन-कौन थे विधायक बांका लोकसभा सीट से 1957 में शकुंतला देवी सांसद निर्वाचित हुईं. इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभाओं में मेंबर की स्थिति काफी रोचक थी. बांका विधानसभा सीट सिंगल मेंबर की थी. यहां एक ही विधायक चुने जाते थे, जबकि अन्य की व्यवस्थाएं अलग थीं. जानकारी के मुताबिक, कटोरिया से 1951-52 में सामान्य सीट पर शीतल प्रसाद भगत व पैरु मांझी अनुसूचित जनजाति सीट पर निर्वाचित हुए, जबकि 1957 के चुनाव में सामान्य सीट से राघवेंद्र नारायण सिंह व आरक्षित सीट से दोबारा पैरु मांझी ही निर्वाचित हुए. हालांकि, बीच में हुए उपचुनाव में आरक्षित सीट से कंपा मुर्मू विधायक बन गये थे. 1951-52 के चुनाव में अमरपुर से सामान्य सीट पर पशुपति सिंह और अनुसूचित जाति सीट पर भोला दास निर्वाचित हुए. इसी सीट से 1957 के चुनाव में अमरपुर से शीतल प्रसाद भगत सामान्य वर्ग से निर्वाचित हुए और भोला दास अुनसूचित जाति से दोबारा विधानसभा पहुंचे. बाद में 1962 के बाद चुनाव व्यवस्था बदल गयी. इसके अलावा विधानसभा की संख्या तीन से बढ़कर पांच हो गयी. मौजूदा समय में बांका, धोरैया, अमरपुर, कटोरिया व बेलहर विधानसभा क्षेत्र हैं. कटोरिया अनुसूचित जनजाति व धोरैया अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व हो गया.