रक्षाबंधन पर दोपहर तक रहेगा भद्रा का साया, शुभ मुहूर्त में ही भाई की कलाई पर बांधें राखी

रक्षाबंधन का त्योहार को लेकर जिलेभर में उत्साह का वातावरण है. बहन अपने भाई की कलाई पर आज शुभ मुहूर्त में राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना करेंगे, जबकि भाई अपनी बहनों को उपहार देकर उनकी सुरक्षा का वचन देंगे.

By Prabhat Khabar News Desk | August 18, 2024 7:42 PM

रक्षाबंधन के दिन सुबह 5 बजकर 53 मिनट से भद्रा होगा आरंभ, दोपहर एक बजकर 32 मिनट पर होगा समाप्त, रक्षाबंधन को लेकर जिलेभर में उत्साह का वातावरण, रविवार को खरीदारी को लेकर बाजार में देर शाम तक लगी रही भीड़. चंदन कुमार, बांका. रक्षाबंधन का त्योहार को लेकर जिलेभर में उत्साह का वातावरण है. बहन अपने भाई की कलाई पर आज शुभ मुहूर्त में राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र की कामना करेंगे, जबकि भाई अपनी बहनों को उपहार देकर उनकी सुरक्षा का वचन देंगे. इसे लेकर बहनों ने अपनी सारी तैयारी को पूरी कर ली है. उधर, भाई ने भी बहन को उपहार आदि की खरीदारी कर रखी है. इसको लेकर रविवार को बाजार में भीड़ देर शाम तक देखी गयी. जहां भाई व बहन ने अपनी आवश्यकता के अनुसार सामान की खरीदारी की. मालूम हो कि सनातन परंपरा में रक्षाबंधन त्योहार का विशेष महत्व है. वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है. हालांकि इस साल सुबह 5 बजे से दोपहर डेढ़ बजे तक रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा. इसलिए दोपहर बाद ही शुभ मुहूर्त में राखी बांधना शुभदायक होगा. शास्त्रों के अनुसार, जब भी भद्राकाल हो तो राखी बांधना शुभ नहीं होता है. राखी हमेशा भद्राकाल के बीत जाने के बाद ही बांधी जाती है.

-लक्ष्मी-राजा बलि की कथा से जुड़ी है रक्षाबंधन का त्योहार

स्कंद पुराण, पद्मपुराण और श्रीमद्भागवत पुराण की कथा के अनुसार, असुरराज दानवीर राजा बलि ने देवताओं से युद्ध करके स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था. इसलिए उसका अहंकार चरम पर था. इसी अहंकार को चूर-चूर करने के लिए भगवान विष्णु ने अदिति के गर्भ से वामन अवतार लिया और ब्राह्मण के वेश में बलि के द्वार भिक्षा मांगने पहुंच गये. चूंकि राज बलि महान दानवीर थे तो उन्होंने वचन दे दिया कि आप जो भी मांगोगे मैं वह दूंगा. भगवान ने बलि से भिक्षा में तीन पग भूमि मांग ली. बलि ने तत्काल हां कर दी. लेकिन तब भगवान वामन ने अपना विशालरूप प्रकट किया और दो पग में सारा आकाश, पाताल और धरती नाप लिया. फिर पूछा कि राजन अब बताइये कि तीसरा पग कहां रखूं. तब विष्णुभक्त राजा बलि ने कहा, भगवान आप मेरे सिर पर रख लीजिये और फिर भगवान ने राजा बलि को रसातल का राजा बनाकर अजर-अमर होने का वरदान दे दिया. लेकिन बलि ने इस वरदान के साथ ही अपनी भक्ति के बल पर भगवान से रात-दिन अपने सामने रहने का वचन भी ले लिया. भगवान को वामनावतार के बाद पुन: लक्ष्मी के पास जाना था लेकिन भगवान ये वचन देकर फंस गये और वे वहीं रसातल में बलि की सेवा में रहने लगे. उधर, इस बात से माता लक्ष्मी चिंतित हो गयी. ऐसे में नारदजी ने लक्ष्मीजी को एक उपाय बताया. तब लक्ष्मीजी ने राजा बली को राखी बांध अपना भाई बनाया और अपने पति को अपने साथ ले आयी. उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी. तभी से यह रक्षा बंधन का त्योहार प्रचलन में है.

इस विधि से बहन अपने भाई को बांधें राखी

वास्तु के अनुसार, घर का मुख्य द्वार वह प्रमुख स्थान है जहां से सकारात्मक ऊर्जा आपके घर के भीतर प्रवेश करती है. जो आपकी और भाई की समृद्धि के लिए सहायक हो सकती है. रक्षाबंधन के दिन मुख्य द्वार पर ताजे फूलों और पत्तियों से बनी वंदनवार लगाएं और रंगोली से घर को सजाएं. इसके साथ पूजा के लिए एक थाली में स्वास्तिक बनाकर उसमें चंदन, रोली, अक्षत, राखी, मिठाई, और कुछ ताजे फूलों के बीच में एक घी का दीया रखें. दीपक प्रज्वलित कर सर्वप्रथम अपने ईष्टदेव को तिलक लगाकर राखी बांधें और आरती उतारकर मिठाई का भोग लगाएं. फिर भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठाएं. इसके बाद उनके सिर पर रूमाल या कोई वस्त्र रखें. अब भाई के माथे पर रोली-चंदन और अक्षत का तिलक लगाकर उसके हाथ में नारियल दें. इसके बाद येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल-माचल… इस मंत्र को बोलते हुए भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधें. साथ ही भाई की आरती उतारकर मिठाई खिलाएं और उनके उत्तम स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य के लिए भगवान से प्रार्थना करें. इसी दिन देवताओं, ऋषियों और पितरों का तर्पण करने से परिवार में सुख शांति और समृद्धि बढ़ती है. प्राणी इस दिन नदियों, तीर्थों, जलाशयों आदि में पंचगव्य से स्नान और दान-पुण्य करके आप ईष्ट कार्य सिद्ध कर सकते हैं.

राखी बांधते समय इस बात का रखें ध्यान

इस संबंध में गुरुधाम बौंसी के पंडित गोपाल शरण ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में रक्षासूत्र बांधना चाहिए. वहीं विवाहित स्त्रियों के लिए बाएं हाथ में राखी बांधने का विधान है. भाइयों को राखी बांधते समय उस हाथ की मुट्ठी को बंद रखकर दूसरा हाथ सिर पर रखना चाहिए. वास्तु शास्त्र में काले रंग को औपचारिकता, बुराई, नीरसता और नकारात्मक ऊर्जा से जोड़कर देखा जाता है. इसलिए इस दिन बहन और भाई दोनों को काले रंग के परिधान पहनने से परहेज करना चाहिए.

रक्षाबंधन व अंतिम सोमवारी पूजा आज

आज यानि 19 अगस्त को रक्षाबंधन पर सावन सोमवार का व्रत भी रखा जा रहा है. ऐसे में सबसे पहले महादेव की पूजा करें. फिर शिवलिंग का गंगाजल और दूध से अभिषेक करें. इसके बाद बेलपत्र और गंगाजल चढ़ाएं. भगवान शिव को मिठाई और फल अर्पित करें. हालांकि इस साल रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल सुबह 5 बजकर 53 मिनट से आरंभ हो जायेगा, जो दोपहर 1 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगा. इस दौरान राखी का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से रात 9 बजकर 07 मिनट तक रहेगा. ऐसे में शुभ मुहूर्त में ही भाई को राखी बांधें.

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