Bihar News: बांका. सरकार ने बरसात के समय तक बालू के उठाव पर प्रतिबंध लगा दिया है. लेकिन सरकार के आदेश को ताक पर रखकर बालू माफिया अवैध रूप से बालू का उत्खनन करने में लगे हुए हैं. स्थिति यह हो गयी है कि बांका सदर थाना क्षेत्र के तारामंदिर समीप ओढ़नी नदी की दाहिने तरफ का तटबंध लगभग समाप्त कर दिया गया है. कई परिवारों की निजी परती जमीन को भी खोदकर बालू निकाला जा रहा है. इतना ही नहीं अवैध रूप से बालू का धंधा करने की पागलपन प्रवृत्ति ने नदी के तटबंध को ही खखोर कर खाली कर दिया है. जबकि वे यह अच्छी तरह जानते हैं कि डैम में छोड़ा गया पानी तटबंध को तोड़कर सीधे खेतों को डूबो देगा. साफ देखा जा सकता है कि तटबंध तो अब है ही नहीं, उसकी जगह बड़े-बड़े गड्ढे ने ले ली है. कई जगह तटबंध को काटकर रास्ता बना दिया गया है. इसका व्यापक असर मैदानी और रिहायशी इलाकों में पड़ना प्रारंभ हो गया है. जिन्होंने घर बनाने के लिए जमीन ले रखी थी और सुरक्षा के दृष्टिकोण से ईट की चहारदीवारी से उसकी घेराबंदी की थी, वह दीवारें भी टूटने लगी है.
कई जगह बांध को काटकर बना दिया गया है रास्ता
नीचे से बालू और मिट्टी सरक रहे हैं और दीवार का बड़ा हिस्सा औंधे मुंह खाई में समा रहा है. अगर अवैध बालू उत्खनन और बांध की सुरक्षा को लेकर कोई सख्त कदम नहीं उठाये गये तो निश्चित रूप से थोड़े ही समय में नदी और मैदानी क्षेत्र का अंतर मिट जायेगा. घर बनाना मुश्किल हो जायेगा. यह सब कारनामा सदर थाना क्षेत्र से लगभग डेढ़ किलोमीटर की दूरी में हो रहा है. थाना से भी नजदीक खनन विभाग का कार्यालय है. बावजूद कार्रवाई शून्य है. ज्ञात हो कि यहां कई बड़े सरकारी प्रोजेक्ट को आकार लेना है. अभी सरकारी आवास का निर्माण बड़े भू-भाग में जारी है. नदी के आसपास की जितनी भी निजी जमीनें हैं, उसकी प्लांटिंग हो गयी है. लोग यहां बसने के लिए घर बनाने की तैयारी में है, लेकिन उन जमीन मालिकों के सामने जमीन को नदी से बचाने की नयी चुनौती खड़ी हो गयी है.
नदी से प्रतिदिन सैकड़ों ठेले पर निकल रहे हैं सैकड़ों बोरे बालू
यहां कई वर्ष पूर्व सरकारी पट्टे पर बालू का उत्खनन किया जाता था. अब मानक के अनुसार नदी में बालू नहीं है. फिर भी अवैध कारोबारी मिट्टी खोदकर निचली सतह के अंदर से बालू निकाल रहे हैं, जिससे नदी का अस्तित्व तेजी से सिमट रहा है. दिन के उजाले में छोटे-छोटे बालू के अवैध कारोबारी दिन-भर कुदाल लिये नदी में मिट्टी हटाकर बालू निकालते हैं और ठेले-रिक्शे से ढोते हैं. दरअसल, पूर्व में आसपास के लोग घर बनाने के नाम पर बालू का उठाव करते थे. लेकिन, देखते-देखते विगत कई वर्षों से इन लोकल कारोबारियों ने इसे एक धंधा के रूप में अपना लिया है. प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो प्रतिदिन करीब नदी से 100-200 ठेला या रिक्शा से बालू का बोरा और मिट्टी ढोये जाते हैं. करीब सैकड़ों बोरा यहां से बालू दिन में ही धड़ल्ले से उठा लिया जाता है.
बच्चों के साथ पूरा परिवार बालू के अवैध धंधे में जुटा
देखा जाता है कि आसपास गांव के कई परिवार बालू के इस अवैध धंधे से जुट गये हैं. इतना ही नहीं उनके बच्चे भी पढ़ाई-लिखाई छोड़कर बालू उठाने और ठेले को धक्का देने में लगे रहते हैं. पहले परिवार का पुरुष वर्ग नदी में मिट्टी की खुदाई कर अंदर से बालू निकालकर एक जगह जमा करते हैं. उसके बाद घर की औरते, बच्चे और मर्द तीनों मिलकर उस बालू को बोरे में भरते हैं और कुछ दूर रास्ते पर लगे ठेले और रिक्शे पर इसे लादते हैं. बच्चे पीछे से ठेले को धक्का देकर मुख्यमार्ग तक पहुंचाते हैं. इस तरह करीब दर्जन भर परिवार यहां प्रतिदिन इसी ढंग से बालू का उठाव करते पाये जाते हैं.
कहते हैं अधिकारी
मामले की जानकारी ली जा रही है. ओढ़नी तटबंध की सुरक्षा की जायेगी. अवैध मिट्टी और बालू माफियाओं को चिह्नित कर उनके विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जायेगी.
कुमार रंजन, जिला खनिज विकास पदाधिकारी, बांका