कथा पंडाल में प्रतिदिन उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़

कटोरिया बाजार के लकरा मुहल्ला में संचालित नौ दिवसीय श्रीमदभागवत कथा ज्ञानयज्ञ के कथा पंडाल में गंगोत्री से पहुंचे कथावाचक ओमप्रकाश शास्त्री ने श्रद्धालुओं को ‘राजऋषि भरत’ की कथा का श्रवण कराया.

By Prabhat Khabar News Desk | May 17, 2024 12:03 AM

कटोरिया(बांका).कटोरिया बाजार के लकरा मुहल्ला में संचालित नौ दिवसीय श्रीमदभागवत कथा ज्ञानयज्ञ के कथा पंडाल में गंगोत्री से पहुंचे कथावाचक ओमप्रकाश शास्त्री ने श्रद्धालुओं को ‘राजऋषि भरत’ की कथा का श्रवण कराया. इस क्रम में उन्होंने बताया कि राज ऋषि भरत भगवान ऋषभदेव के 100 पुत्रों में सबसे बड़े थे. इनका विवाह विश्वरूप की पंचजनी नाम कन्या से हुआ, जिससे इनके पांच पुत्र जन्मे. अजनाभखंड के नाम से पहले प्रसिद्ध यह भारतवर्ष इन्हीं के नाम पर भरतखंड यानि भारतवर्ष कहलाया. राज ऋषि भरत सभी शास्त्रों के मर्मज्ञ, अपने पिता की तरह धर्मपूवक प्रजा का पालन करने वाले तथा भगवान के भक्त थे. इन्होंने भगवान की प्रसन्नता के लिए कई यज्ञ किये, उसका फल भी भगवान को समर्पित कर दिया. कथावाचक ने बताया कि राजर्षि भरत ने जब मृग शरीर का त्याग किया, तो उन्हें ब्राह्मण का शरीर प्राप्त हुआ. ब्राह्मण का शरीर प्राप्त होने पर भी उन्हें अपने पूर्व-जन्म का ज्ञान पहले की ही भांति बना रहा. उन्होंने सोचा कि इस जन्म में कोई विघ्न-बाधा उपस्थित न हो, इसलिए उन्हें सजग हो जाना चाहिए. अपने संदेश में कहा कि मनुष्य को ब्रह्म की प्राप्ति के लिए ही प्रयत्न करना चाहिए. यही मानव-जीवन की सार्थकता है. यही श्रेष्ठ ज्ञान है और यही श्रेष्ठ धर्म है. यह सारा जगत् ब्रह्म से निकला है और ब्रह्म में ही समा जाता है. ब्रह्म की इस लीला को जो समझ पाता है, उसी को जगत् में सुख व शांति की प्राप्ति होती है. कथा के अंत में आरती ‘श्रीभागवत भगवान की है आरती, पापियों को पाप से है तारती’ का सामूहिक गायन हुआ. फिर श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का भी वितरण किया गया. यहां आयोजन को सफल बनाने में हरेराम सिंह, पूजक राजू सिंह, उनकी धर्मपत्नी रेणुका देवी, रंजीत सिंह, बबलू सिंह, मनोज सिंह, श्रवण सिंह उर्फ लोहा सिंह आदि अहम भूमिका निभा रहे हैं. वहीं कथा के प्रारंभ में दिनेश पांडेय व रामप्रकाश शरण ने वेद व्यास व ठाकुर जी की पूजा-अर्चना करायी. इस दौरान श्रीकृष्ण के भजनों पर संगीत में तबला वादक ऋषिकेश पांडेय व संगीत वादक ओमप्रकाश तिवारी संगत दी.

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