Loading election data...

दाना चक्रवाती तूफान किसानों के लिए बना आफत, फसल नुकसान देख किसान चिंतित

जिलेभर तीन दिनों से हो रही रुक-रुक कर बारिश से धान की फसल को भारी नुकसान हो रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | October 25, 2024 10:22 PM

बांका. जिलेभर तीन दिनों से हो रही रुक-रुक कर बारिश से धान की फसल को भारी नुकसान हो रहा है. किसान के अनुसार दाना नामक चक्रवाती तूफान के चलते आये दिन मौसम खराब हो गया है. रुक-रुक कर हवा व बारिश होने से धान की वाली में होने वाली फूल झड़ने लगी है. जिसके चलते प्रति एकड़ दो से तीन क्विंटल धान कम होने का अनुमान लगाया जा रहा है. जबकि इसका असर चावल के दाने पर भी पड़ेगा और चावल मोटा व बजनदार नहीं हो पायेगा. क्षेत्र के किसान पंकज कुमार सिंह, ओम प्रकाश कुमार, राजेेंद्र कुमार, मृत्यंजय सिंह, मनोज कुमार, मुन्ना सिंह, अशोक कुमार, श्याम सुंदर मांझाी, हरी मांझी आदि ने बताया कि दाना चक्रवाती तूफान का असर लेट लगाये गये धान की फसल पर ज्यादा दिखने को मिल रही है. हालांकि कुछ क्षेत्र में तो पूर्व में लगाये गये धान पूरी तरह पक कर रेडी होने वाली है. छठ पूजा के बाद धान कटाई का समय है. लेकिन इस समय तूफान किसान पर आफत बनकर बरस रही है. इस तरह के मौसम में कई एकड़ धान की फसल पानी में गिर गयी. जिससे लाखों रुपये का नुकसान होने का अनुमान है. वहीं किसानों का कहना है बड़ी मुश्किल से इस बार धान की खेती में अच्छी पैदावार होने की उमीद जगी थी. किसानों को अच्छा मुनाफा मिलने का उमीद था. लेकिन अब दाना तूफान के चलने से तैयार फसल खेत में ही सिमट कर रह जायेगी. जबकि जिले के अधिकांश किसान के लिए एकमात्र आमदनी का रास्ता धान की खेती ही है. जिससे पूरे साल परिवार का भरण पोषण होता है और बचे हुए मुनाफा से बच्ची की शादी विवाह व अन्य घरेलू कार्य को पूरा करते है.

मौसम खराब होने से धान की खड़ी फसल पर हल्दी रोग का प्रक्रोप बढ़ा

आये दिन मौसम खराब होने से जिले के विभिन्न स्थानों पर धान की फसल पर फालस्मत (हल्दी रोग) ने दस्तक दे दी है. ऐसे में किसानों की चिंता फसल को लेकर बढ़ने लगी हैं. हल्दी रोग का सबसे अधिक असर हाइब्रिड किस्म के धान पर देखने को मिल रही. रोग के कारण जहां एक ओर फसल के दाने पाउडर के भांति बन रहे हैं, वहीं दूसरी ओर फसलों की ग्रोथ भी रुकने लगी है. मालूम हो कि धान की फसल में इन दिनों बाली निकलने के बाद दाने बनने की प्रक्रिया चल रही है. जबकि कई किसानों ने धान की बहुत पीछे रोपाई की है. इन फसलों में अभी बालियां ही निकल रही है. लेकिन समय से फसल की रोपाई करने वाले किसानों के लिए इन दिनों धान में लगने वाला हल्दी रोग परेशानी का सबब बना हुआ है. हल्दी रोग को कंडुआ रोग के नाम से भी जाना जाता हैं. हल्दी रोग की चपेट में आने से धान की बालियां बुरी तरह से नष्ट हो रही है. जिससे धान की फसल के उत्पादन पर बुरा असर पड़ सकता है. वहीं कृषि विज्ञान केंद्र के एक्सपर्ट के अनुसार धान में कंडुआ रोग एक फफूंद जनित बीमारी है जो धान की फसल को काफी नुकसान पहुंचा सकती है. यह रोग मुख्य रूप से उच्च आर्द्रता और अधिक तापमान वाली जगहों पर फैलता है. रोग की चपेट में आने के बाद धान की बालियों पर काले या भूरे रंग का पाउडर आ जाता है. यह पाउडर हवा के साथ उड़कर आसपास के पौधों को भी संक्रमित करता है. रोग से प्रभावित दाने सिकुड़ जाते हैं और उनका वजन कम हो जाता है. हल्दी रोग फसल उत्पादन को काफी हद तक प्रभावित करता है. हल्दी रोग संक्रमित बीज से भी यह रोग फैल सकता है. साथ ही खेत में जलभराव होने से भी यह रोग फैलने की आशंका बढ़ जाती है.

दवा का छिड़काव करने से रुक सकती है बीमारी

खाद बीज व दवा के बिक्रेता राजकुमार अग्रवाल ने बताया कि हल्दी रोग के लक्षण शुरुआती दौर में देखने पर अगर रोकथाम कर ली जाय तो होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है. इसके नियंत्रण के लिए 400 प्रोपिकोनाजोल 25 ईसी दवा को लेकर 150 लीटर पानी में घोल बनाकर एक एकड़ फसल में छिड़काव कर दें. छिड़काव करने से काफी हद तक रोग से निजात मिल जायेगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Exit mobile version