श्रावणी मेला के 18वें दिन भी बाबा की डगर पर कतारबद्ध चल रहे कांवरिये
विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला के अठारहवें दिन गुरूवार को भी शिवभक्त कतारबद्ध होकर कच्ची पथ पर कदम दर कदम बढ़ाते चल रहे हैं.
-‘बोल-बम’ व ‘हर-हर महादेव’ के नारों से गूंजायमान हो रहा संपूर्ण पथ फोटो 8 बीएएन 100 अबरखा से आगे बढ़ते कांवरिये कटोरिया. ‘बोल-बम का नारा है, बाबा एक सहारा है’, ‘बोल-बम बढ़े कदम’, व ‘बाबा नगरिया दूर है, जाना जरूर है’ जैसे नारों व जयकारों को बुलंद करते केसरिया वस्त्रधारी शिवभक्त बाबा नगरी देवघर की ओर अग्रसर हैं. विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला के अठारहवें दिन गुरूवार को भी शिवभक्त कतारबद्ध होकर कच्ची पथ पर कदम दर कदम बढ़ाते चल रहे हैं. रास्ते के प्रमुख स्थलों के अलावा सुदूरवर्ती जंगली व पहाड़ी क्षेत्रों में भी श्रद्धालु कभी विश्राम, तो कभी शुद्धि जल से खुद को पवित्र तो कभी कांवर की आरती करते एवं भगवान शिव की आराधना व मंत्रोच्चार करते 105 किलोमीटर की दूरी को नंगे पाव से नाप कर बाबा का दीदार करते हैं. छत्तीसगढ़ के शिवभक्त दुर्गेश प्रसाद, यूपी के बनारस से पहुंचे कांवरिया महेश गुप्ता व झारखंड के हजारीबाग की कांवरिया उर्मिला देवी ने कहा कि कांवर यात्रा करते हुए जब वे जमुआ मोड़ के बाद दरभाषण पुल पार करते हैं, तो बाबा दरबार की ओर उनके कदम खुद ब खुद आगे बढ़ने लगते हैं. यहां अनुभूति होती है कि भोलेनाथ के प्रति अटूट आस्था व भक्ति की शक्ति उन्हें खुद अपनी ओर खींच रही है. श्रावणी मेला में सभी उम्र व वर्ग के श्रद्धालु महादेव की भक्ति के रंग में रंगकर कांवर में गंगाजल लेकर जलार्पण करने देवघर पहुंच रहे हैं. ऐसी मान्यता है कि सावन मास में उत्तरवाहिनी गंगा सुल्तानगंज का जल बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग पर अर्पित करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.
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