बांका.
ओढ़नी नदी में बालू नहीं है. फिर भी खनन विभाग के द्वारा इसका टेंडर निकाला गया है. जिसमें आगामी 27 जून को ऑनलाईन बोली लगायी जायेगी. यह टेंडर गत 4 जून को निकली गयी है. जिसके अंतर्गत तारा मंदिर से ओढ़नी नदी 3 किलोमीटर आगे सैजपुर पुल के पहले तक दो भाग में निविदा निकाली गयी है. इसको लेकर ओढ़नी नदी के किनारे मौजूद गांव व किसानों ने खासी आपत्ति दर्ज करायी है. बताया जा रहा है कि जब नदी में तय मापदंड के अनुसार बालू की मात्रा नहीं है तो विभागीय निविदा से किसानों को घोर परेशानी होगी. किसानों की मानें तो टेंडर हो जाने के बाद इनके संवेदक घाट से बालू निकालने का प्रयास करेंगे. जिससे नदी का जलस्तर काफी गहरा हो जायेगा. आगे चलकर किसानों के खेतों में पानी जाना दूभर हो जायेगा. किसान की खेत सिंचाई के बिना सूखी रह जायेगी. और किसान पलायन करने को मजबूर हो जायेंगे. इस निविदा से व्यापक नुकसान नदी और क्षेत्र के खेती-किसानी पर पड़ना स्वभाविक है. ओढ़नी नदी में अब सिर्फ मिट्टी बचा है, जिस पर घास भी उग आये है.नदी में बालू की जगह बचा है मिट्टी
ओढ़नी नदी का अधिकतर बालू समाप्त हो गया है. उपरी सतह पर मात्र एक-डेढ़ फीट ही बालू है. जिससे जलस्तर बरकरार है. अगर निविदा के बाद सतही बालू का उठाव हो जाता है तो किसानों के खेतों को पानी मिलना मुश्किल हो जायेगा. और किसानों के बीच भूखमरी की समस्या उत्पन्न हो जायेगी. इसको लेकर कुछ किसानों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया है कि नया बंदोवस्तधारी आयेगा, वह अंधाधुंध बालू का उठाव करेगा. जिससे नदी की भौगोलिक स्थिति और भी खराब हो जायेगी. साथ ही बोरिंग, चापाकल आदि फेल हो जायेगा. जबकि अभी भी कई किसानों के बोरिंग फेल हो चुके हैं. साथ ही आसपास के गांवों में हैंडपंप ने पानी देना छोड़ दिया है. वहीं गर्मी में पशुपालकों को अपने मवेशियों के लिए पानी तक नसीब नही होगा. इसको लेकर किसानों ने जिला प्रशासन से ओढ़नी नदी को बालू उत्खनन से मुक्त रखने की मांग की है. साथ ही किसानों ने बंदोवस्ती होने पर आंदोलन की भी चेतावनी दी है.कहते है अधिकारी
बंदोवस्ती होने से सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी. साथ ही अवैध खनन पर रोक लगेगी.कुमार रंजन, खनिज विकास पदाधिकारी, बांका
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