पशुओं में होने वाली जानलेवा बीमारी एफएमडी को 2030 तक दी जायेगी मात
पशुपालन भी कम चुनौती भरा कार्य नहीं है. खासकर मवेशियों में होने वाली बीमारी के प्रति सचेत रहना बेहद जरूरी है.
मदन कुमार, बांका. पशुपालन भी कम चुनौती भरा कार्य नहीं है. खासकर मवेशियों में होने वाली बीमारी के प्रति सचेत रहना बेहद जरूरी है. एमएमडी की बीमारी पशुओं के लए भारी कष्टकारी और कभी-कभी जानलेवा भी साबित हो रहा है. इसके खात्मे के लिए पशुपालन विभाग ने कमर कस लिया है. जानकारी के मुताबिक,भारत सरकार के द्वारा पशुओं में होने वाले खुरपका-मुंहपका (एफएमडी) जैसी गंभीर बीमारियों को राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत 2030 तक जड़ से खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसको लेकर जिला पशुपालन पदाधिकारी ने एक ठोस कार्यक्रम चलाकर जिले में निशुल्क एमएफडी टीकाकरण किया जा रहा है. विभाग के द्वारा इस अभियान की शुरुआत गत 23 अक्तूबर की गयी है. इसके लिए मुख्यालय से आठ लाख 23 हजार टीकाकरण का कुल डोज जिला को प्राप्त हुआ है. अबतक छह लाख 73 हजार 300 पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है. शेष एक लाख 49 हजार 700 पशुओं का टीकाकरण किया जाना है. टीकाकरण के कुल डोज का 20 प्रतिशत विभाग के पास रखा हुआ है. विभागीय जानकारी के मुताबिक, पशुओं को छह माह के अंतराल पर दो बार टीकाकरण किया जाना है. पहला टीकाकरण फरवरी व मार्च एवं दूसरा अक्टूबर व नवंबर माह में किया जाना है. इसके अलावा 4 से 5 माह वाले पशुओं को टैग लगाया जायेगा. हालांकि अभी तक विभाग को टैग प्राप्त नहीं हो पाया है. टैग प्राप्त होते ही इसे अभियान के माध्यम से संपन्न कर दिया जायेगा.
क्या है खुरपका-मुंहपका बीमारी
खुरपका-मुंहपका एक संक्रामक बीमारी है, जो विषाणु द्वारा फैलती है. इस बीमारी का कोई दवा नहीं है. सिर्फ टीकाकरण ही इससे सुरक्ष संभव है. यह बीमारी अनेकों बीमारियों का जनक है. इस बीमारी से पशुओं की इम्यूनिटी सिस्टम को डैमेज होता है. यह रोग एक अत्यंत संक्रामक वायरस है, जो संक्रमित जानवरों के लार, मूत्र और मल के माध्यम से फैलता है एक-दूसरे पशुओं में फैलता है. संक्रमित पशुओं के दूध और मांस के माध्यम से भी यह रोग फैल सकता है. यह वायरस संक्रमित जानवरों के खासने या छींकने से हवा में भी फैल सकता है. इस रोग से ग्रसित पशुओं के मुंह, जीभ, होंठ, मसूड़ों और खुरों पर छोटे छोटे छाले हो जाते हैं जो बाद में मिलकर बड़े हो जाते हैं और घाव बनाते हैं. इस रोग से खासकर मादा पशुओं में दूध की कमी के साथ-साथ गर्भधारण में भी परेशानी होती है.प्रखंडवार टीकाकरण से लाभान्वित मवेशियों की संख्या
बांका- 48600
अमरपुर-57600बेलहर-50400
फुल्लीडुमर-46800चांदन-81000
कटोरिया-97200बौंसी-80900
बाराहाट-56000रजौन-43200
धोरैया-68400शंभुगंज-43200
——————-वर्ष 2030 तक जिले से पशुओं में होने वाली बीमारी एफएमडी जड़ से खात्मा का लक्ष्य तय किया गया है. इस निमित्त टीकाकरण चलाया गया है. तय समयानुसार यह टीकाकरण जिले में संचालित किया जायेगा. पशुपालकों को भी जागरूक किया जा रहा है.
डाॅ. राजीव रंजन, जिला पशुपालन पदाधिकारी, बांका.B
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