एक कहावत है कि गुदड़ी में भी लाल छिपा होता है और कीचड़ में कमल खिलता है. यही कहावत बांका जिले के शंभुगंज प्रखंड क्षेत्र के नरसंडी गांव में चरितार्थ हुआ है. क्षेत्र के गुलनी कुशहा पंचायत के नरसंडी गांव के डा. कृष्ण कुमार सिंह महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा महाराष्ट्र के कुलपति पद को सुशोभित कर रहे हैं. कुलपति के पिता जगन्नाथ प्रसाद सिंह एक किसान थे और माता राम सिंगारी देवी गृहणी थी. कुलपति दो भाइयों में छोटे हैं. एक लंबे समय के बाद जब कुलपति अपने पैतृक गांव पहुंचे तो उनकी ख्याति देखकर हर एक ग्रामीण खुशियों से भर उठे.
ग्रामीणों ने दिया सम्मान, कहा गांव आपसे हुआ गौरव शान हैं आप
कुलपति बनने के पहली बार अपने गांव नरसंडी आने पर ग्रामीणों कुलपति का भव्य स्वागत किया. ग्रामीणों ने कहा कि कुलपति आप हमारे लिए गौरव हैं. गांव के बचपन के सहपाठी गांधी विचारक डा. माखन प्रसाद शर्मा के सौजन्य से शुक्रवार शाम गांव में ही कुलपति के स्वागत के लिए अभिनंदन सह सम्मान समारोह आयोजित किया गया. समारोह की अध्यक्षता अशोक कुमार सिंह ने किया. ग्रामीणों ने कुलपति का सम्मान अंग वस्त्र व फूल माला से किया. वहीं गांव की ही छात्रा मिणाली एवं साक्षी स्वागत गीत प्रस्तुत कर कुलपति एवं अतिथियों का स्वागत किया.
ग्रामीण परिवेश में पूरी की प्रारंभिक शिक्षा
कुलपति का प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से शुरू हुआ और उच्च विद्यालय गुलनीकुशहा से मैट्रिक में उत्तीर्ण हुए. पिता साधारण किसान थे. बड़े भाई नुनेश्वर प्रसाद सिंह और पिता ने उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए भागलपुर टीएनबी कॉलेज में दाखिला कराया. इन्होंने यहां इंटर और स्नातक की डिग्री हासिल की. हिंदी प्रतिष्ठा में प्रथम स्थान प्राप्त किया. फिर एम ए हिंदी भागलपुर विश्वविद्यालय से ही प्रथम श्रेणी में उतीर्ण हुए.
कुलपति एम फिल एवं पीएचडी हैदराबाद विश्वविद्यालय हैदराबाद से पूरी की. आगे चलकर यह बीबीएस पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर ( यूपी) के एसएमएमटीपीजी कॉलेज बलिया में लेक्चरर बने. 2010 में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा महाराष्ट्र में प्रोफेसर बने. यहीं वह डीन और रजिस्ट्रार पद को भी सुशोभित किया. बेहतर कार्यकाल को देखते हुए राष्ट्रपति ने इसी वर्ष महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा महाराष्ट्र का कुलपति बना दिया. इन्होंने अनेकों पुस्तकें लिखी हैं.
नरसंडी ही हमारी पहचान : कुलपति
कुलपति ने अपने संबोधन में कहा कि हमारी पहचान नरसंडी गांव ही है. कहा कि हम लोग बहुत विषम परिस्थितियों में पढ़ाई-लिखाई किये हैं. गांव से 5-6 किलोमीटर दूर गुलनीकुशहा पैदल ही आते-जाते थे. उस समय सड़क नहीं बनी थी. वर्षा के दिनों में हाथ में चप्पल जूते लेकर नदी नाले पार करते थे. अब तो क्षेत्र में सड़क, बिजली, पानी का सारी सुविधाएं हो गयी है. बच्चे मन लगाकर पढ़ाई करें. वे आज तक गांव में किसी के घर फूल पेंट पहन कर नहीं जाते थे, लेकिन मेरे परम सहपाठी गांव के ही माखन के आग्रह पर फूल पेंट पहन कर कार्यक्रम में उपस्थित हुए हैं.
डा. माखन प्रसाद शर्मा ने कहा कि कुलपति सादगी के उदाहरण हैं. ये जब भी गांव आते हैं, सभी के घर जाकर मिलते हैं. इस मौके पर एम्बिशन पब्लिक स्कूल शभुगंज के प्राचार्य मनोरंजन प्रसाद सिंह, रौशन सिंह राठौड़ व अन्य ने भी अपनी-अपनी बात रखी. इस अवसर पर मुखिया अंजिला देवी, मनोरंजन प्रसाद सिंह, सोनू शर्मा,अशोक शर्मा, सुबोध शर्मा, मणि शर्मा, वशिष्ठ यादव, संजय यादव, बांके बिहारी, बबलू कुमार सिंह, सिंटु सिंह, पंकज चौधरी, भोला राय, शिवनंदन शर्मा, नित्यानंद शर्मा , कन्हैया कुमार, टिंकू कुमार सहित उपस्थित थे.