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कई कालखंडों को अपने आप में समेटे हुए है पंजवारा ड्योढी में स्थापित मां दुर्गा मंदिर

बांका जिला के बाराहाट प्रखंड के पंजवारा पंचायत स्थित पंजवारा ड्योढी दुर्गा मंदिर में दुर्गा पूजा के आयोजन को लेकर उत्सव का माहौल है.

पंजवारा. बिहार- झारखंड की सीमा पर बहने वाली चीर नदी के तट पर बांका जिला के बाराहाट प्रखंड के पंजवारा पंचायत स्थित पंजवारा ड्योढी दुर्गा मंदिर में दुर्गा पूजा के आयोजन को लेकर उत्सव का माहौल है. पंजवारा में स्थापित दुर्गा मंदिर अपने आप में कई कालखंडों को समेटे हुए है. इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व कई मायनों में महत्वपूर्ण है. यहां सर्वप्रथम जमींदारी की प्रथा के प्रचलन और जमींदारों के पूर्वजों द्वारा 1861 ई. में दुर्गा पूजा मनाने के प्रमाण पाये जाते हैं. हालांकि दुर्गा मंदिर में दुर्गा पूजा सर्वप्रथम कायस्थ परिवार के द्वारा आयोजित की जाती रही है, जो 1500 ई. के आसपास की बतायी जाती है. कायस्थ परिवार के सदस्य द्वारा नेम निष्ठा के साथ तांत्रिक विधि से पूजा का आयोजन किया जाता रहा था. जानकार बताते हैं कि यहां के जमींदार को चार पुत्री थी ऐसे में उन्हें अपनी जमीदारी को आगे बढ़ाने के लिए एक पुत्र की लालसा दिन रात सताती रहती थी. ऐसे ही मौके पर एक बार दुर्गा पूजा के दौरान जमीदार ने मां भगवती से पुत्र रत्न की कामना की. देवी की कृपा से – उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई और उनके ठीक दूसरे साल पंजवारा में देवी मां की मंदिर की स्थापना कर पूजा अर्चना आरंभ कर दी गयी, जो वर्तमान समय में भी जमींदार के वंशज के द्वारा धुमधाम से पूजा आयोजित की जा रही है. मंदिर में पूजा के पहले दिन से ही बलि देने की प्रथा अपनायी गयी थी, जो आज तक जारी है. अष्टमी पूजा से ही भव्य मेले का आयोजन मंदिर परिसर में लगता है. जिसमें खासकर आसपास के आदिवासी समुदाय के द्वारा मां के दरबार में नृत्य प्रस्तुत किया जाता है. मंदिर परिसर स्थित मेला में तरह- तरह के खेल तमाशा वाले मिठाई वाले का जमावड़ा लगा रहता है. एक दशक पूर्व यहां के रंग मंच कलाकार को लोग लोहा मानते थे. लेकिन वर्तमान समय में नाटक की परंपरा विलुप्त हो गयी है. पूजा के दौरान शांति व सुरक्षा व्यवस्था को लेकर आयोजन समिति के सदस्य के द्वारा मेला परिसर और आसपास स्वयं सेवकों की तैनाती की जाती है.

पूजा के आयोजन को लेकर पूजा कमेटी के अध्यक्ष कैलाश प्रसाद सिंह, सचिव कुमार सुमन, पूर्व सचिव ललित कुमार सिंह, पूर्व जिला सदस्य विजय किशोर सिंह, राकेश रंजन सिंह, मनोज कुमार सिंह, राज किशोर सिंह, ललन कुमार सिंह, रणधीर प्रसाद सिंह, पुतुल नरेश सिंह, जवाहर सिंह, मदन सिंह, बब्बन सिंह, धर्मेंद्र कुमार सिंह, अंकित कुमार सिंह, आनंद शंकर सिंह, रोशन कुमार सिंह, मुनमुन कुमार सिंह सहित कई अन्य सदस्य सक्रिय रूप से अपनी भूमिका निभा रहे हैं.

पारंपरिक आदिवासी नृत्य लगाते है चार चांद

देवी विसर्जन के दौरान आदिवासी समुदाय के द्वारा देवी के दरबार में पारंपरिक नृत्य देखने लायक होता है.

बंगाल के कारीगर करते हैं मूर्ति का निर्माण

मां दुर्गा की प्रतिमा का निर्माण बंगाल के प्रसिद्ध कलाकारों के द्वारा किया जाता है. पिछले कई सालों से बंगाल के आसनसोल के नामी-गिरामी कलाकारों के द्वारा मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा बनाई जाती है.

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