Fake Jail Call Scam: हैलो मैं बांका जेल से जेलर (डिप्टी सुप्रिंटेडेंट) बोल रहा हूं. आपका बंदी जेल में गिर गया है. उसका पैर-हाथ टूट गया है. सदर अस्पताल में इलाज के बाद भागलपुर रेफर किया गया है. चिकित्सक और दवा तो फ्री है, परंतु दो बोतल ब्लड की तत्काल आवश्यकता है. इसके लिए पैसे की आवश्यकता. करीब 10 हजार रुपये चाहिए, जल्द भेज दें. दरअसल, एक फर्जी काॅल के माध्यम से यह बातें मंडल कारा में संसीमित बंदी के परिजनों से की जा रही है. कोई साइबर अपराधी खुद को फर्जी जेल का जेलर बताकर बंदी परिजन को फोन करता है और पैसे की मांग करता है. इतना ही नहीं वाट्सअप पर क्यूआरकोड भेजता है ताकि, पैसे ले सके. इस बात का खुलासा तब हुआ जब फर्जी डिप्टी सुपिरिंटेंडेंट के काॅल के बाद परिजन दौड़े-दौड़े मंडल कारा बांका पहुंचे. परिजन ने सारी आपबीती जेल प्रशासन को सुनायी. जेल प्रशासन ने परिजन को विधिवत बंदी से मुलाकात कराया, जहां उसका बंदी पूरी तरह स्वस्थ और सही-सलामत दिखा. देखते-देखते अन्य परिजन भी बदहवास स्थिति में अपने बंदी की हालत देखने पहुंचने लगे. इसके बाद जेल प्रशासन पूरी तरह अलर्ट हो गया. जेल अधीक्षक आशीष रंजन के निर्देश पर सभी बंदियों को इस संबंध में जागरूक किया जा रहा है. साथ ही मुलाकाती के दौरान मिलने आ रहे परिजन को भी सचेत किया जा रहा है.
Fake Jail Call Scam: पेशेवर है साइबर अपराधी
फर्जी साइबर अपराधी जेल का जेलर बनकर मोबाइल नंबर 9084099220 से काॅल करता है. जेल प्रशासन ने भी इस नंबर पर जब एक फेक बंदी परिजन बनाकर काॅल लगाया तो साइबर अपराधी उसी अंदाज में पैसे की मांग करता पाया गया. जिसका ऑडियो भी रिकार्ड किया गया. जिस हिसाब से साइबर अपराधी बात कर रहा था, उससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह पेशेवर है. इस क्षेत्र का वह मास्टरमाइंड है. हालांकि, एहतियातन जेल प्रशासन की ओर से इसकी शिकायत साइबर थाना में की जा रही है. साथ ही अन्य आवश्यक जांच शुरु की गयी है.
Fake Jail Call Scam: फर्जी काॅल पर तुरंत करें पुलिस को शिकायत: जेल अधीक्षक
जेल अधीक्षक आशीष रंजन ने इस पूरे मामले पर बताया कि एक साइबर अपराधी फर्जी डिप्टी सुपरिंटेंडेट बनकर मंडल कारा बांका में संसीमित बंदी के परिजनों को काॅल करता है. इसकी शिकायत मिलते ही उन्होंने सभी अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिया है. मुलाकाती के दौरान आये परिजनों के साथ बंदियों को भी इस संबंध में जागरूक किया जा रहा है. साइबर अपराधी की पहचान व गिरफ्तारी के लिए साइबर थाना में प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया शुरु कर दी गयी है. बंदी के परिजनों से अपील होगी कि इस तरह के फर्जी काॅल पर कतई भरोसा न करें और न ही बहकावे में आए. बंदी को किसी तरह की परेशानी होने पर जेल प्रशासन का ही संपूर्ण दायित्व होता है कि उसका इलाज कराये. इसमें होने वाले खर्च भी सरकारी स्तर से की जाती है. किसी बंदी को सर्दी-खांसी होने पर भी जेल प्रशासन हमेशा अलर्ट रहता है. बंदी के बीमार होने या दुर्घटना हो जाने के बाद जेल से किसी प्रकार के पैसे की मांग परिजन से नहीं की जाती है. यह कानूनन अपराध है. अगर ऐसे काॅल आते हैं तो तुरंत पुलिस को शिकायत करें और जेल प्रशासन को भी इसकी जानकारी दें.