नये साल के जश्न में डूबे प्रकृति प्रेमी, मंदार पहुंचकर पूजा-अर्चना के साथ मनाया पिकनिक

नये साल के आगमन में अब मात्र एक दिन शेष रह गया है. नये साल का जश्न मनाने के लिए लोगों ने अभी से ही तैयारी शुरु कर दी है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 29, 2024 8:57 PM

बांका/बौंसी. नये साल के आगमन में अब मात्र एक दिन शेष रह गया है. नये साल का जश्न मनाने के लिए लोगों ने अभी से ही तैयारी शुरु कर दी है. वहीं नव वर्ष सेलिब्रेशन को लेकर अभी से ऐतिहासिक, पौराणिक, धार्मिक व आध्यात्मिकता से भरपूर मंदार क्षेत्र में पिकनिक मनाने के लिए पर्यटकों की भीड़ लगनी शुरु हो गयी है. पिछले एक सप्ताह से बांका सहित बिहार के विभिन्न जिलों व झारखंड के कई इलाकों से भारी संख्या में यहां पिकनिक प्रेमी प्रकृति के बीच आनंद उठाने और वन भोज के लिए यहां पहुंच रहे हैं. पिकनिक व सैर सपाटे के लिए मंदार की धरती देशी व विदेशी मेहमानों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करती है. प्रकृति के बीच वक्त गुजारना और परिजनों के साथ स्वच्छ वातावरण में पिकनिक मनाने का मनोरम दृश्य के लिए मंदार मशहूर है. यही वजह है कि यहां पर सालों भर सैलानियों की भीड़ लगी रहती है. करीब 750 फीट ऊंची मंदार पर्वत और इसके आसपास का हरा-भरा इलाका, सुंदर मनोहर पहाड़ियां, मन को मोह लेने वाली प्राकृतिक वादियों के साथ ठंड के मौसम में थोड़ी-थोड़ी धूप के बीच पवित्र पाप हारिणी सरोवर में स्नान का अलग ही आनंद है. मंदार पर्वत व आसपास के निचले इलाके में जगह-जगह इन दिनों पिकनिक प्रेमी अपने साथ भोजन को पकाने का साधन और खाने-पीने के सामान साथ लेकर पहुंच रहे हैं. जबकि कुछ पर्यटक तो पत्थर का चूल्हा बना कर जंगलों से चुन कर लायी गयी लड़कियों से आग जलाकर भोजन तैयार कर एक साथ मिल बैठकर खाने का लुत्फ उठा रहे हैं. इससे इतर सरोवर में पर्यटन विभाग के द्वारा लगाये गये नौका विहार का भी लोग मजा लेना नहीं भूल रहे. मालूम हो कि मंदार पर्वत देवताओं की शरण स्थली के साथ ऋषि मुनियों की तपोभूमि रही है. यही वजह है कि यहां कई मंदिर हैं और यहां से कई किवंदतियां भी जुड़ी हुई है. पर्वत मध्य सहित अन्य जगहों पर यहां पर प्राकृतिक कुंड भी है, जो औषधि गुण से भरपूर है. रविवार छुट्टी का दिन होने के कारण यहां पर भारी संख्या में सैलानी और पिकनिक प्रेमियों की भीड़ लगी रही. करीब एक हजार लोगों ने रोपवे का भी आनंद लिया. रोपवे से मंदार पर्वत शिखर पर पहुंचकर वहां मौजूद विभिन्न मंदिरों में पूजा अर्चना की.

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