पेज तीन…15 तक कनकनी से राहत नहीं, पांच से नौ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी पछुआ हवा
15 तक कनकनी से राहत नहीं, पांच से नौ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी पछुआ हवा
– बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर भागलपुर के कृषि मौसव सेवा केंद्र ने जारी किया 11 से 15 जनवरी तक मौसम पूर्वानुमान का बुलेटिन -इस दौरान रहेगा अधिकतम तापमान 19-20 डिग्री सेंटीग्रेड तथा न्यूनतम तापमान आठ से 10 डिग्री सेंटीग्रेडफोटो- आग से राहत के लिए सरकारी अलाव तापते लोग प्रतिनिधि, बांकाः जिले में पिछले तीन-चार दिन से कड़ाके की ठंड के साथ कोहरे के प्रकोप से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया. ठंड ने शुक्रवार को दिन भी लोगों को कंपकंपाया. सुबह से ही दिन ढका हुआ था. हल्की धूप तो खिली पर लोगों को इससे राहत नहीं मिली. अमूमन सूरज आसमान में छुपा ही रहा. लोगों ने अलाव सेंककर किसी तरह राहत पायी. जिला प्रशासन की ओर से भी जगह-जगह अलाव का इंतजाम किया गया. इस बीच बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर भागलपुर के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा केंद्र ने 11 से 15 जनवरी तक मध्यावधि मौसम पूर्वानुमान का बुलेटिन जारी किया है. इसके मुताबिक, अगले चार-पांच दिनों तक ठंड से राहत नहीं मिलेगी. इस दौरानअधिकतम तापमान 19-20 डिग्री सेंटीग्रेड तथा न्यूनतम तापमान आठ से 10 डिग्री रहने की संभावना जतायी गयी है. भारत मौसम विभाग के जारी पूर्वानुमान के अनुसार दक्षिण बिहार के जिलों में आसमान पर बादल रह सकते हैं. मौसम शुष्क रहने का अनुमान है. पूर्वानुमान के अनुसार पांच से नौ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पछुआ हवा बह सकती है. इससे ठंड में बेहिसाब वृद्धि की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है.
मौसमी बीमारी का बढ़ा प्रकोप
ठंड में बेहिसाब बढ़ोत्तरी से मौसम बीमारी का प्रकोप बढ़ गया है. इन दिनों हृदय, अस्थमा, शुगर, बीपी आदि के मरीज भी काफी संतुलित जीवन जीने को विवश हैं. जबकि, मौसमी बीमारी में बुखार, जुकाम, सिर दर्द, अस्थमा आदि की समस्या बढ़ गयी है. बच्चों में निमुनिया का खतरा मंडरा रहा है. चिकित्सक ने बच्चे व बुजुर्गों को खास सावधानी बरतने की सलाह दी है. साथ ही बदलते जीवन शैली को लेकर आज के समय हर उम्र के लोगों को ठंड से खास सावधान रहने की जरूरत बतायी है. अमूमन सभी सरकारी व प्राइवेट अस्पतालाें में इन दिनों मौसमी बीमारी से घिरे लोग ईलाज के लिए पहुंच रहे हैं.गेहूं फसल में खरपतवार नियंत्रण की सलाह
मौसम को देखते हुए किसानों के लिए समसामयिक सुझाव भी जारी किये गये हैं. बताया गया कि गेहूं की बुआई के 30 से 35 दिनों के बाद की अवस्था जिसमें फसल में कई प्रकार के खर-पतवार उग आते हैं. इन सभी प्रकार के खर-पतवारों को नियंत्रित करना आवश्यक है. मक्का फसल में तना छेदक कीट की निगरानी करें. मिर्च की फसल में थ्रिप्स कीट की निगरानी करें. जबकि, तापमान में गिरावट के कारण दुधारु पशुओं के दूध उत्पादन में आयी कमी को दूर करने के लिए उचित भोजन देने की सलाह दी गयी. साथ ही प्रत्येक पशु को कृमि नाशक दवा देने और खुरपका, मुंहपका, गलाघोटू व लंगड़ी बीमारी से बचाव के लिए टिकारण कराने की बात कही गयी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है