राधानगर दुर्गा मंदिर के नवनिर्माण पर लगभग 20 लाख रुपये हुआ खर्च
राधानगर बाजार स्थित प्रसिद्ध दुर्गा मंदिर के नवनिर्माण कार्य पर लगभग 20 लाख रुपये की राशि खर्च की गयी. जिसमें बंगाली समाज के साथ-साथ स्थानीय श्रद्धालुओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
कटोरिया.राधानगर बाजार स्थित प्रसिद्ध दुर्गा मंदिर के नवनिर्माण कार्य पर लगभग 20 लाख रुपये की राशि खर्च की गयी. जिसमें बंगाली समाज के साथ-साथ स्थानीय श्रद्धालुओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. मंदिर की भव्यता यहां आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. मंदिर के नीचे अंडर-ग्राउंड भी बनाया गया है, जिसका उपयोग स्टोर रूम में रूप में किया जायेगा.
इधर नवनिर्माण कार्य के उपलक्ष्य पर तीन दिवसीय प्राण-प्रतिष्ठा पूजन समारोह का भी आयोजन हुआ. जिसका समापन गुरुवार को शोभा यात्रा के साथ दरभाषण नदी में पूजन-कलश विसर्जन एवं प्रसाद वितरण कार्य के साथ हुआ. यहां तीन दिनों तक भक्तिमय माहौल कायम रहा. राधानगर बाजार सहित आसपास के महिला-पुरुष देवी भक्त मां शेरावाली की श्रद्धा, भक्ति व आस्था से ओत-प्रोत होकर पूजा-आराधना में लीन रहे. इस क्रम में आचार्य लालमोहन पांडेय, घनश्याम पांडेय, शिवाकांत पांडेय, शशिकांत पांडेय आदि द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच बंगाली पद्धति से मां दुर्गा के भव्य मंदिर में पूजा-अर्चना करायी गयी. मेढ़पति भवानी नाग व उनकी धर्मपत्नी अल्का देवी के हाथों मां दुर्गा का मंदिर में पदार्पण एवं प्राण-प्रतिष्ठा पूजन संपन्न करायी गयी. दुर्गा सप्तशती पाठ के बीच मंदिर के पिंड पर चुंदरी ओढ़ाकर गंगाजल, फूल, बेलपत्र, नैवेद्य, शृंगार सामग्री आदि अर्पित किया गया. महिला श्रद्धालुओं द्वारा देवी गीतों का गायन हुआ. यहां आयोजन को सफल बनाने में श्रद्धालु सोनेलाल नाग, संजय नाग, संदीप नाग, बीशु नाग, रोहित नाग, राजीव नाग, बिपिन नाग, लाल्टू नाग, सचिन नाग, चंडी नाग, अबोध नाग, उत्तम नाग के अलावा स्थानीय श्रद्धालुओं ने अहम भूमिका निभायी.दुर्गापूजा में बंगाली पद्धति से होती है पूजा, पूरी होती है हर मन्नत
कटोरिया नगर पंचायत अंतर्गत राधानगर बाजार स्थित प्राचीन दुर्गा मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. यहां शारदीय नवरात्र में बंगाली पद्धति से प्रतिमा प्रतिष्ठापित कर पूजा-आराधना की जाती है. पिछले 135 सालों से मां भगवती को डाक (परिधान, मुकुट व अस्त्र) चढ़ाने की परंपरा आज भी बरकरार है. डाक चढ़ाने के लिए देवी भक्त पहले से ही नंबर लगाते हैं. राधानगर मंदिर में डाक चढ़ाने को लेकर वर्ष 2040ई तक एडवांस बुकिंग हो चुकी है. क्षेत्र के लोगों की मान्यता है कि इस मंदिर में पूरी श्रद्धा व आस्था के साथ मांगी गयी मन्नत अवश्य पूरी होती है. स्थापना काल से लेकर अब तक मंदिर में पूजा-अर्चना कार्य का संचालन बंगाली समाज द्वारा ही की जाती है. राधानगर के प्राचीन दुर्गा मंदिर की स्थापना दुर्गा नाग ने अपने हाथों से झोपड़ी रूपी मंदिर बनाकर प्रतिमा प्रतिष्ठापित कर की थी. उसी समय से डाक चढ़ाने की परंपरा जारी है. बंगाली समाज व स्थानीय श्रद्धालुओं के सहयोग से ही इस प्राचीन मंदिर के नवनिर्माण व प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का कार्य पूरी सफलता के साथ संपन्न हुआ.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है