सनकादि ऋषियों ने जय-विजय द्वारपाल को दे दिया था श्राप
भागवत कथा के तीसरे दिन कथा पंडाल में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
सनकादि ऋषियों ने जय-विजय द्वारपाल को दे दिया था श्राप
कटोरिया. सनकादि ऋषि से तात्पर्य है ब्रम्हा के चार पुत्रों सनक, सनन्दान, सनातन व सनत्कुमार से है. पुराणों में उनकी विशेष महत्ता वर्णित है. ये ब्रम्हा के अयोनिज संतानें हैं व भगवान विष्णु के एक अवतार हैं. जो दस सृष्टियों में से ही गिने जाते हैं. बैकुंठ धाम में प्रवेश करने से रोकने पर सनकादि ऋषियों ने जय व विजय नामक दो द्वारपालों को श्राप दे दिया था. उक्त बातें गंगोत्री से पहुंचे कथावाचक ओमप्रकाश शास्त्री ने मंगलवार को कटोरिया बाजार के लकरा मुहल्ला में आयोजित भागवत कथा के तीसरे दिन प्रवचन के क्रम में कही. उन्होंने कहा कि सनकादिक ऋषि देवताओं के पूर्वज माने जाते हैं. संपूर्ण लोकों से विरक्त होकर चित्त की शान्ति के लिये भगवान विष्णु के दर्शन करने को लेकर वे बैकुण्ठ लोक में गये थे. जय व विजय नामक द्वारपालों के रोकने पर ऋषियों ने कहा कि हम तो भगवान विष्णु के परम भक्त हैं. हमारी गति कहीं भी नहीं रुकती है. हम देवाधिदेव के दर्शन करना चाहते हैं. तुम लोग भगवान की सेवा में रहते हो, तुम्हें तो उन्हीं के समान समदर्शी होना चाहिये. भगवान का स्वभाव परम शांतिमय है, तुम्हारा स्वभाव भी वैसा ही होना चाहिये. हमें भगवान विष्णु के दर्शन के लिए जाने दो. अंत में सनकादिक ऋषियों ने क्रुद्ध होकर शाप देते हुए कहा कि तुम लोग पापयोनि में जाओ और अपने पाप का फल भुगतो. फिर वहां पहुंचे भगवान विष्णु के इन मधुर वचनों से सनकादिक ऋषियों का क्रोध तत्काल शांत हो गया. भगवान की इस उदारता से वे अति आनंदित हुए. कथा के अंत में आरती ‘श्रीभागवत भगवान की है आरती, पापियों को पाप से है तारती’ का सामूहिक गायन हुआ. फिर श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का भी वितरण किया गया. यहां आयोजन को सफल बनाने में हरेराम सिंह, पूजक राजू सिंह, उनकी धर्मपत्नी रेणुका देवी, रंजीत सिंह, बबलू सिंह, मनोज सिंह, श्रवण सिंह उर्फ लोहा सिंह आदि अहम भूमिका निभा रहे हैं. वहीं कथा के प्रारंभ में दिनेश पांडेय व रामप्रकाश शरण ने वेद व्यास व ठाकुर जी की पूजा-अर्चना करायी. इस दौरान श्रीकृष्ण के भजनों पर संगीत में तबला वादक ऋषिकेश पांडेय व संगीत वादक ओमप्रकाश तिवारी संगत दी.
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