श्रावणी मेला 2022 की शुरुआत होते ही कांवरिया पथ पूरे दो साल के बाद फिर एकबार केसरिया रंग से पट गया है. मौसम इस बार कांवरियों का साथ भले ही नहीं दे रहा हो लेकिन भक्ति रंग में सराबोर कांवरियों का जत्था बेहद उत्साह के साथ कांवरिया पथ पर झूमते हुए नजर आ रहे हैं. कांवर यात्रा के दौरान गोडियारी नदी का इंतजार सभी कांवरियों को रहता है. गोडियारी नदी एक मनोरंजन स्थल से कम नहीं दिखता. वहीं समय के साथ इस नदी की सूरत जरूर बदल गयी लेकिन आज भी कांवरिया यहां रूककर अपनी थकान मिटाना नहीं भूलते.
सुल्तानगंज से उत्तरवाहिनी गंगा का जल भरकर कांवरिया 100 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करके बाबाधाम देवघर तक पहुंचते हैं. यह लंबी यात्रा कोई कांवरिया एक या दो दिन तो कोई इससे अधिक समय में तय करता है. वहीं करीब 85 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद वो बांका जिला अंतर्गत बहने वाली गोडियारी नदी तक पहुंचते हैं. गोडियारी नदी पहुंचकर कांवरिये अपनी थकान मिटाना नहीं भूलते. आज इस नदी की सूरत बदल चुकी है.
एक दौर था जब गोडियारी नदी पर पुल नहीं बना था. कांवरियों को पानी में उतरकर नदी पार करके ही जाना पड़ता था. नदी में रेत की मात्रा काफी अधिक रहती थी. 80 से 85 किलोमीटर की दूरी तय करके जब कांवरिया यहां पहुंचते थे तो नदी किनारे और कम पानी के अंदर बैठकर आराम करने से नहीं चूकते थे.
आस-पास के गांव के लोग यहां भुट्टा पकाते और कांवरिया इन्ही भुट्टों का स्वाद लेते. ग्रामीणों को दो रूपया कमाने का भी इससे मौका मिलता था. यहां कई फोटोग्राफर भी घूमते मिलते जिससे फोटो खिंचवाने की होड़ रहती थी.
समय के साथ गोडियारी नदी की अब सूरत बदल गयी. नदी पर पुल जरूर बना दिया गया लेकिन आज भी कांवरिया इस पुल होकर नहीं जाते बल्कि नदी के रास्ते ही जाना पसंद करते हैं. बात श्रावणी मेला 2022 की करें तो अब गोडियारी नदी में पानी नाम मात्र ही बचा. लेकिन फिर भी कांवरिया मस्ती करते दिखते हैं.
Also Read: Sawan 2022: माता-पिता को कांवर पर बैठाकर बाबाधाम निकले बेटा-बहू, जानिये कलयुग के श्रवण कुमार की कहानीनदी में अब पानी की जगह रेत है लेकिन स्थानीय लोगों ने पाइप से पानी की सुविधा कांवरियों की मस्ती के लिए की है. रेत पर ही दुकानें सजी हैं. कांवरिया इसमें खाने-पीने भी रूकते हैं और फोटोशूट भी कराते हैं. एक तरह से गोडियारी नदी होकर गुजरते कांवरिये यहां के स्थानीय लोगों की उम्मीदें भी हैं.
बता दें कि गोडियारी नदी के इस पार यानी पहले इनारावरण पड़ाव के रूप में आता है. जबकि गोडियारी नदी पार करने के तीन किलोमीटर बाद पटनिया आता है. बाबाधाम की दूरी यहां से करीब 14 से 15 किलोमीटर बचती है.
(बांका से अमरेंद्र कुमार पांडेय की रिपोर्ट)
Published By: Thakur Shaktilochan