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मंदराचल के साधु संतों ने मौनी अमावस्या पर संगम में लगाई डुबकी

मंदराचल के साधु संतों ने मौनी अमावस्या पर संगम में लगाई डुबकी

बौंसी. बिहार के मंदराचल से चलकर प्रयागराज के संगम में महाकुंभ के मौके पर संतमत के साधु संतों ने आस्था की डुबकी लगाई. मौनी अमावस्या के मोके पर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज के साथ साथ हजारों साधु संतों के साथ मंदराचल के साधु संतों ने भी स्नान किया. मशहूर कथावाचक गौरव कृष्ण चंद्र शास्त्री, ज्योतिषाचार्य रौशन झा सहित गुरुधाम के विद्वान पंडितों के साथ आए कथावाचक ने बताया कि कुंभ स्नान सिर्फ एक स्नान मात्र नहीं है. यह सनातन धर्मावलंबियों की संगम स्थली भी है. आस्था, धर्म, आपसी भाईचारा और सनातन धर्म को शिखर तक ले जाने के लिए 144 वर्ष के बाद लगे इस महाकुंभ में स्नान करने के लिए लोगों को अवश्य आना चाहिए. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि कुंभ में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. धार्मिक मान्यता है कि कुंभ के दौरान का जल सकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है. कुंभ मेले में स्नान करने से आत्मा और मन की शुद्धि होती है. मान्यताओं के अनुसार कुंभ स्नान को अमृत स्नान भी कहा गया है. जहां स्नान करने से समस्त पाप ख़त्म हो जाता है. इस मौके पर पंडित धीरज पांडे, ओंकार चौधरी, ध्रुव पांडे गौतम झा के अलावे सहकर्मी इंद्रजीत सिंह, कृष्णा कुमार सहित अन्य मौजूद थे. दूसरी ओर मंदार तराई स्थित पापहारिणी सरोवर में भी मौनी अमावस्या के मौके पर बुधवार को श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगायी. स्नान के बाद सरोवर मध्य स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर में पूजा अर्चना की. प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न मंदिरों में भी मौनी अमावस्या को लेकर पूजा अर्चना के लिये भीड़ लगी रही.

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