आमतौर पर बांका जिले में वृहत पैमाने पर केले की खेती देखने को नहीं मिलती है. अमूमन घर व खेतों के एक छोटे से भू-भाग में दो चार केले के पेड़ मिल जाते हैं. इसकी खेती बड़े स्तर पर गंगा के उसपार में देखी जाती है. लेकिन, अमरपुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत भरको रामपुर गांव में केले का एक विशाल बगान आपको आश्चर्य में डाल देगा. जी हां, सड़क किनारे एक छोटी सी नदी के उपर बहियार में केले के दो-तीन बागवानी लगी हुई है. इसमें हजारों पेड़ हैं. एक बागवानी में तो पेड़ से केला का अनिगत फल भी लटके हुए हैं. निश्चित रुप से जो भी व्यक्ति केले के इस बागवानी को देखता है वह आश्चर्य चकित जरुर हो जाता है.
दरअसल, केला की खेती का यह अनोखा प्रयास रामपुर गांव निवासी भारतीय प्रशासनिक सेवा से जुड़े अधिकारी मृत्युंजय कुमार चौधरी ने की है. बताया जा रहा है कि उन्होंने इस क्षेत्र में केले की खेती को नये ढंग से करने का प्रयास किया है, ताकि न केवल उनकी जमीन अधिक मुनाफा दे सके, बल्कि आसपास के किसान व खासकर युवा किसान सीख लेकर अपनी जमीन पर भी केले की ऐसी बागवानी लगाये.
उनका यह बहियार काफी बड़े भाग में फैला हुआ है. इसमें केला के अतिरिक्त नींबू की भी खेती होती है. साथ ही गेहूं, पपीता, अमरुद और तरबूज भी समय-समय पर लगाया जाता है. हालांकि, अभी प्रमुख रुप से केला व नींबू पर अधिक जोर है. उन्होंने यहां केयर टेकर के रुप में दो स्टाफ भी लगाया है. बताया जाता है कि एक एकड़ केले की खेती दो-ढाई लाख रुपये का सलाना इंकम हो जाता है.
केले की खेती के लिए अपनायी है ड्रिप सिंचाई पद्धति
नदी के ठीक उपरी क्षेत्र में यह बहियार है. जिसकी मिट्टी केले की खेती के लिए अनुकूल साबित हुई है. सिंचाई व्यवस्था के लिए ड्रिप सिंचाई पद्धति अपनायी गयी है. जगह-जगह इसके पाइप व नल लगे हुए हैं. बिजली से यह संचालित होता है. इसके अलावा फ्लड एरिगेशन के माध्यम से भी इसकी सिंचाई होती है.
किसानों की टीम करती है विजिट
केले की अनोखी खेती और समेकित खेती का रूप ले चुका यह बहियार किसानों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है. स्थानीय कुछ लोगों ने बताया कि समय-समय पर किसानों की टीम यहां विजिट के लिए आती है.