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सैजपुर पुल पर गार्डर लगने से तारामंदिर के पुराने पुल पर बढ़ा वाहनों का दवाब

शहर के तारा मंदिर समीप ओढनी नदी पर अवस्थित पुराने पुल पर इन दिनों वाहनों का दवाब बढ़ गया है. ऐसे में पुराने पुल की हालत पस्त नजर आ रही है.

बांका.शहर के तारा मंदिर समीप ओढनी नदी पर अवस्थित पुराने पुल पर इन दिनों वाहनों का दवाब बढ़ गया है. ऐसे में पुराने पुल की हालत पस्त नजर आ रही है. दरअसल, बांका-अमरपुर मुख्यमार्ग के सैजपुर समीप ओढ़नी नदी पर नया पुल का निर्माण हो रहा है. इस वजह से बांका-पोखरिया मुख्य मार्ग अंतर्गत पड़ने वाले तारा मंदिर के पुराने पुल पर वाहनों की आवाजाही बढ़ गयी है. खासकर भारी वाहन व बड़ी यात्री वाहनों की आवाजाही इसी पुल होकर हो रही है. दुख की बात लोगों को यह लग रही है कि इसी पुराने पुल के बगल में विगत वर्ष ही करोड़ों की लागत से निर्मित समानांतरण पुल भी बनकर तैयार है, परंतु एप्रोच पथ के अभाव में वाहनों का परिचालन प्रारंभ नहीं हो पाया है. कई वाहन चालकों ने इसपर घोर आपत्ति दर्ज करायी है.

पोखरिया के रास्ते किया गया है रुट डायवर्ट

बांका-अमरपुर मुख्य मार्ग अंतर्गत ओढ़न नदी पर सैजपुर पुल को तोड़कर नया पुल बनाया जा रहा है. यहां डायवर्सन का भी निर्माण किया गया है, जिसपर छोटी वाहनों के परिचालयन की अनुमति है. जबकि, बड़ी एवं भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाते हुए दोनों तरफ लोहे का गार्डर लगा दिया गया है. सैजपुर पुल निर्माण की वजह से भारी एवं बड़ी वाहनों के परिचालन के लिए पोखरिया के रास्ते रुट डायवर्ट कर दिया गया है. बांका से अमरपुर और भागलपुर की ओर जाने वाले वाहनों को दुधारी, पोखरिया के रास्ते समुखिया मोड़ जाकर वहां से बांका-अमरपुर मुख्य मार्ग पकड़ना पड़ रहा है. जबकि, भागलपुर अमरपुर की ओर से बांका आने वाले वाहनों को भी पहले पोखरिया, उसके बाद दुधारी होते हुए बांका पहुंचना पड़ रहा है. इस मार्ग में बांका तारामंदिर में ओढ़नी नदी पर पुराना पुल पड़ता है. इस पुल की चौड़ाई में काफी कम है. नतीजतन, अक्सर पुल पर जाम की भी स्थिति बन जाती है. बताया जाता है कि पुल अंदर से काफी जर्जर हो चुका है. इसकी कमजोर अवस्था देखकर ही नया समानांतर पुल का निर्माण किया गया है.

पिछले वर्ष ही बना है पुल

यह पुल करीब 407.8751 लाख की लागत से विगत वर्ष ही बनकर पूरा हो हुआ है. पहले विद्युत तार पार करने के नाम पर महीनों तक एप्रोच पथ निर्माण को टालने का बहाना किया गया है. अब जब सभी कार्य पूर्ण कर लिये गये हैं तो भी एप्रोच पथ का निर्माण नहीं किया जा रहा है. ज्ञात हो कि यह पुल निर्धारित समय पर भी पूरा नहीं किया गया था. शुरु से ही इसमें काफी सुस्ती बरती गयी है. टालमटोल रवैया के साथ इस पुल को बनाया गया, परंतु अबतक इसे चालू नहीं किया गया है.

आचार संहिता के बाद बनेगा एप्रोच पथ : कार्यपालक अभियंता

पीडब्लूडी के कार्यपालक अभियंता रंधीर कुमार ने इस संबंध में बताया कि एप्रोच पथ निर्माण के बाद पुल पर वाहनों का परिचालन प्रारंभ हो जायेगा. एप्रोच पथ के लिए सभी कागजी प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है. 55 लाख से दोनों तरफ एप्रोच पथ का निर्माण किया जायेगा. अचार संहिता के बाद इसका टेंडर निकाला जायेगा और निर्माण कार्य पूर्ण किया जायेगा.

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