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कोरोना त्रासदी से मुरझाये किसानों के चेहरे पर झलक रही है खुशी, मकई की अच्छी पैदावार होने के हैं आसार

धोरैया : एक ओर जहां पूरे देश में पांव पसार चुका कोराना वायरस के संक्रमण से आम लोगों के साथ-साथ किसान भी परेशान हैं. वहीं पूरे देश में लॉकडाउन लगने के कारण आवागमन की भी सभी सुविधायें लगभग बंद है. बिना कारण सड़कों पर निकलना भी लोग मुनासिब नहीं समझ रहे ऐसे में गेंहू के […]

धोरैया : एक ओर जहां पूरे देश में पांव पसार चुका कोराना वायरस के संक्रमण से आम लोगों के साथ-साथ किसान भी परेशान हैं. वहीं पूरे देश में लॉकडाउन लगने के कारण आवागमन की भी सभी सुविधायें लगभग बंद है. बिना कारण सड़कों पर निकलना भी लोग मुनासिब नहीं समझ रहे ऐसे में गेंहू के फसल की तैयारी को लेकर सभी किसान सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए बहियार में ही अधिकतर समय व्यतीत कर रहे हैं और गेंहू के फसल की तैयारी में जुटे किसान खेतों में लगी मकई के फसल के बालियों में दाने को देख कोराना महामारी का गम भुलाते हुए चेहरे पर मुस्कुराहट बिखेरे हुए हैं. ऐसा लगता है इस बार बड़े पैमाने पर इसकी पैदावार होने की संभवना है.

किसान मंटू मंडल, बालेश्वर मंडल, सोसो मंडल, सिकन्दर मंडल, सुन्दर मंडल आदि ने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में गेंहू की फसल अच्छी नहीं हुई है और बाजार भाव भी कम है, लेकिन इस वर्ष मक्के की फसल अच्छी होने की संभावना है. पिछले वर्ष मक्का की फसल एक एकड़ 15 से 18 क्विंटल हुआ था और बाजार भाव 13 सौ रूप्या था, जिससे किसानों का काफी नुकसान उठाना पड़ा था. जबकि इस वर्ष 20 से 25 क्विंटल प्रति एकड़ तक मकई की फसल उपज होने की संभावना है.

वहीं पिछले वर्ष एक एकड़ खेती में किसानों को करीब 18 हजार रुपये खर्च आये थे तो वहीं इस बार मकई की खेती में 20 हजार रूपया लागत लगा है, लेकिन बाजार भाव करीब 2 हजार रूपया क्विंटल है. किसानों ने बताया कि मकई के पैदावार अच्छी होने का मुख्य कारण समय-समय पर बर्षा होना है. मकई के फसल में लगभग 7 से 8 बार पटवन करना पड़ता है, लेकिन इस बार 4 पटवन ही करना पड़ा. इस वजह से इस बार 15 से 20 हजार रुपये का मुनाफा आसानी से मकई के खेती से प्रति एकड़ होगा. हालांकि बारिश के कारण तेलहन और दलहन फसल को नुकसान हुआ है.

सड़क किनारे यूं ही बर्बाद हो रहा है बटसार में पानीफोटो 19 बांका 7: सड़क किनारे बर्बाद हो रहा पानीधोरैया. क्षेत्र में गर्मी शुरू होते ही पानी का संकट विकट होने लगा है. जहां एक ओर पानी की किल्लत है वहीं दूसरी ओर विश्व बैंक के सहयोग से निर्मित बटसार पंचायत के दुर्गास्थान में बने जलमीनार के पेयजल पाइप लाइनों की लीकेज और एसएच 84 चौड़ीकरण के दौरान सड़क किनारे तोड़े गये पाइप लाईन के मरम्मती के बाद घरों में कनेक्शन के दौरान ठेकेदार द्वारा सीर्फ कनेक्सन कर छोड़ देने से सैकड़ों लीटर पानी की बर्बादी हो रही है. ठेकेदार द्वारा घरों को टोटी नहीं लगाया जा रहा है, वहीं लॉकडाउन होने के कारण मशेनरी की दुकान भी नहीं खुला है, जो उपभोक्ता खरीद कर लगा सके. ऐसे में ठेकेदार द्वारा टोटी उपलब्ध नहीं कराये जाने के कारण पाईप खुला रहने के कारण पानी यू ही सड़कों पर बहता रहता है. वहीं बटसार के कई घरों का पाईप लिकेज रहने एवं पंप संचालक द्वारा पानी पूरा सफ्लाई नहीं दिये जाने के कारण लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंच पाता है, जिससे सरकार द्वारा हर घर नल का जल पहुंचाने का सपना टूटता जा रहा है. वहीं ग्रामीणों में भी पंप संचालक के इस रवैये से आक्रोश पनपता जा रहा है.

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