उत्तर प्रदेश के शेरछाता गांव से जुड़ी है सबलपुर दुर्गा मंदिर की कहानी, गौरव कश्यप, पंजवारा. थाना क्षेत्र के सबलपुर पंचायत में स्थापित दुर्गा मंदिर के पीछे कई रोचक कहानी जुड़ी हुई है. कई बुजुर्ग मंदिर के इतिहास को बताते हुए अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते हैं. मंदिर के अध्यक्ष निखिल बहादुर सिंह ने बताया कि सबलपुर गांव के बीच में स्थापित मां भगवती की दुर्गा मंदिर यहां के राजघराना के वंशज के लिए शान की बात है. यहां स्थापित दुर्गा मंदिर में पूजा-अर्चना के प्रमाण तकरीबन 180 वर्ष पूर्व से पाये जाते हैं. उन्होंने बताया कि दुर्गा मां सबसे पहले उत्तर प्रदेश के शेरछाता गांव के नदी किनारे पूजी जाती थी. वर्तमान में यूपी के बलिया और गाजीपुर स्टेशन के बीच यह शेरछाता गांव है. तत्पश्चात वहां के राजघराना के लोग खड़गपुर पहुंचे. वहां भी मां भगवती को अपने साथ लेकर गये. समय का कालचक्र घुमा व खड़गपुर के वंशज सबलपुर में आकर बस गये. बताया जाता है कि राजघराना के सम्मानित सदस्य गोविंद बाबू और श्यामलाल बाबू के बाद काली प्रसाद सिंह के द्वारा इस जगह पर मां भगवती की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाने लगी. जानकार बताते हैं कि इस कालखंड में इनके जमींदारी क्षेत्र में बड़ी भयानक महामारी फैली. एक दिन देवी ने उन्हें सपने में कहा कि अगर वह नेम निष्ठा और धूमधाम से उनकी आराधना करें तो उनके राज क्षेत्र में सभी सुखमय जीवन व्यतीत करेंगे. जमींदार ने 1861 में यहां मकान बनाकर मां भगवती को स्थापित कर पूजा-अर्चना शुरू की. श्रद्धालुओं की मानें तो उसी दिन से उनके राजपाठ में वृद्धि होती गयी तब से लेकर वर्तमान में राजघराना के वंशज बड़ी धूमधाम से वैदिक रीति-रिवाज के साथ मां भगवती की पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं. इस धार्मिक आयोजन की सफलता के लिए मंदिर कमेटी के सचिव, यशवंत सिंह, जयवंत सिंह, त्रिपुरारी सिंह, नितेश कुमार सिंह, करणवीर सिंह, मुकुल कुमार सिंह, धर्मवीर सिंह, राकेश सिंह, विद्यानंद सिंह, मनीष सिंह सहित अन्य मौजूद रहते हैं.
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