पटना. एसएलबीसी (राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी) की बैठक में समीक्षा के दौरान यह बात सामने आयी कि राज्य के 30 जिलों में 33 प्रतिशत से भी कम लोन बांटे गये हैं.
सबसे कम उपलब्धि वाले छह जिलों में अरवल (18.39 प्रतिशत), बांका (19.32), मधुबनी (19.72 प्रतिशत), जहानाबाद (20.39), गोपालगंज (20.54) और सुपौल (20.54 प्रतिशत) हैं. राज्य के 10 बैंक ऐसे हैं, जिन्होंने लोन बांटने में सबसे ज्यादा कोताही बरती है.
इनका वार्षिक साख योजना का अनुपात 20 प्रतिशत से भी कम रहा है. इस फेहरिस्त में निजी बैंकों की संख्या ज्यादा है.
इसमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र (5.02 प्रतिशत), उत्कर्ष बैंक (6.08 प्रतिशत), उज्जीवन बैंक (8.56 प्रतिशत), यूको बैंक (11.79 प्रतिशत), यूबीजीबी (16.75 प्रतिशत), कोटक महिन्द्रा बैंक (17.78 प्रतिशत), स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक (20.45 प्रतिशत) समेत अन्य शामिल हैं.
हालांकि, लोन वितरण करने में आठ जिलों की उपलब्धि 33.39 प्रतिशत से ज्यादा रही है. इसमें पटना की सबसे ज्यादा 56 प्रतिशत है.
वहीं, मुजफ्फरपुर की 50 प्रतिशत, पूर्णिया 49.58, किशनगंज 47.47, बेगूसराय 40.24, शेखपुरा 39.06, जमुई 36.97 और पूर्वी चंपारण 33.85 प्रतिशत है.
राज्य के एनपीए (नन-परफॉर्मिंग एसेट) में पिछली तिमाही की तुलना में इस बार एक हजार 457 करोड़ रुपये की कमी आयी है, जो 1.24 प्रतिशत है. मार्च, 2020 में एनपीए 21 हजार 847 करोड़ था.
एसबीआइ के सीजीएम महेश गोयल ने स्वागत संबोधन में बताया कि राज्य में बैंकों का कुल एनपीए 17 हजार 285 करोड़ रुपये यानी 11.38 प्रतिशत है. बैंकों के साढ़े पांच हजार करोड़ के सात लाख 26 हजार सर्टिफिकेट केस लंबित पड़े हुए हैं.
सर्टिफिकेट केस में निर्धारित समय में निष्पादित करने की जरूरत है. इसके लिए खासतौर से पहल करने की जरूरत है.
उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार 51 हजार 585 करोड़ के लोन वितरित किये गये हैं, जो करीब साढ़े छह सौ करोड़ रुपये ज्यादा है.
Posted by Ashish Jha