वाल्मीकिनगर/हरनाटांड़. पश्चिम चंपारण के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व क्षेत्र में उस वक्त अफरा-तफरी मच गयी, जब खेत में काम कर रहे दो किसानों पर अचानक भालुओं के झुंड ने हमला बोल दिया. एक साथ कई भालुओं के हमले से खेत में काम कर रहे दोनों किसान बुरी तरह से घायल हो गये. भालू ने एक किसान के मुंह का जबड़ा तोड़ दिया तो दूसरे के हाथ का कुछ हिस्सा चबा गया. ग्रामीणों की मदद से दोनों को आनन-फानन में गोनौली उप स्वास्थ्य केंद्र में ले जाया गया. वहां प्राथमिक उपचार के बाद दोनों को बेहतर इलाज के लिए हरनाटांड़ रेफर कर दिया गया. गोनौली वन क्षेत्र पदाधिकारी प्रवीण गुप्ता ने बताया कि ऐसी सूचना प्राप्त हुई है. मामले की जांच की जा रही है. वन कर्मियों को घटनास्थल पर जांच के लिए भेजा गया है. साक्ष्य के साथ आवेदन करने पर अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी. ग्रामीणों से अपील है कि सतर्क और सजग रहें.
भालू के आतंक से लोग काफी भयभीत
घटना के संबंध में बताया जाता है कि गोनौली वन क्षेत्र के वन कक्ष संख्या टी-21 से सटे गोडार गांव के दो लोगों पर सोमवार की सुबह गांव से सटे खेतों में काम करते समय वन क्षेत्र से निकलकर एक विशालकाय भालू ने हमला बोल दिया. इसमें प्रेम कुमार चौधरी और श्रवण कुमार चौधरी गंभीर रूप से जख्मी हो गये. आनन-फानन में ग्रामीणों की मदद से दोनों को अस्पताल पहुंचाया गया. श्रवण चौधरी और प्रेम चौधरी की हालत को देखकर गांव वाले भी हैरान है. ग्रामीणों का कहना है कि दोनों की हालत ठीक नहीं है. भालू ने दोनों पर इस कदर से हमला किया है कि दोनों बुरी तरह से घायल हो गये है. गांव वालों ने घटना की जानकारी वन विभाग के रेंजर को दी है और पीड़ितों को मुआवजा दिये जाने की भी मांग की है। इस घटना से पूरे इलाके में दहशत का माहौल है। भालू के आतंक से लोग काफी भयभीत है। लोगों ने घर से निकलना फिलहाल बंद कर दिया है.
खतरे में वन संपदा और ग्रामीण
ग्रामीणों का मानना है कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व वन प्रमंडल दो वाल्मीकिनगर और गोनौली वन क्षेत्र से सटे रिहायशी इलाकों में वन्यजीवों का विचरण और हमले की घटनाएं बढ़ गयी है. जिसे आम लोगों को डर और दहशत के साए में जीने पर मजबूर होना पड़ रहा है. आए दिन किसी न किसी क्षेत्र में विषैले कीड़े-मकोड़ों का प्रवेश और वन्यजीवों के विचरण के अलावा वन्यजीवों के ग्रामीणों पर हमले हो रहे हैं, जो यह स्पष्ट दर्शाती है कि वन प्रशासन वन अपराधियों पर अंकुश लगाने में विफल साबित हो रहा है. वाल्मीकिनगर और गोनौली वन क्षेत्र में वन्यजीवों का विचरण और उनके हमले हो रहे हैं जिससे आम लोगों का जीवन खतरे में है. अगर इन गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाया गया तो ना जंगल बचेगा और ना ही वन्यजीव. जरूरत है वन प्रशासन द्वारा वन संपदा और वन्यजीव की सुरक्षा को गंभीरता पूर्वक लेने की.
प्रभार के खेल में नहीं हो रही वनों की बेहतर सुरक्षा
वाल्मीकिनगर और गोनौली वन क्षेत्र में वन अपराध और वन्यजीवों की सुरक्षा के साथ आमजन की सुरक्षा बेहतर ढंग से संपादित नहीं की जा रही है. अपराधियों द्वारा वन संपदा के नुकसान के मामले भी लगातार सामने आ रहे हैं. इसके पीछे कई कारण बताये जा रहे हैं जिनमें एक कारण वाल्मीकिनगर वन क्षेत्र पदाधिकारी अवधेश प्रसाद सिंह के सेवानिवृत्त होने के बाद गोनौली वन क्षेत्र के पदाधिकारी प्रवीण गुप्ता को वाल्मीकिनगर और मदनपुर वन क्षेत्र का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है. यानी एक रेंजर के भरोसे तीन महत्वपूर्ण वन क्षेत्र. यह हास्य स्पष्ट लगता है कि वन प्रशासन द्वारा वन क्षेत्र पदाधिकारी के नाम पर खानापूर्ति का खेल किया जा रहा है. जिस कारण बेहतर तरीके से वन क्षेत्र की सुरक्षा नहीं हो पा रही है.