वायरल, निमोनिया, डायरिया और डेंगू से पीड़ित बच्चे पहुंच रहे हैं अस्पताल, वार्डों में बेड फुल, भटक रहे मरीज
लोग अपने बीमार परिजन को लेकर अस्पतालों के चक्कर लागते फिर रहे हैं लेकिन उन्हें भर्ती करने से यह कहकर इनकार कर दिया जा है कि गंभीर मरीजों के लिए जरूरी आइसीयू और वेंटिलेटर सुविधाओं वाले बेड खाली नहीं हैं.
फुलवारीशरीफ. कोरोना में कमी के बाद इमरजेंसी और गंभीर रूप से बीमार मरीजों के इलाज के लिए शुरू हुए एम्स पटना का इमरजेंसी एंड ट्रामा विभाग के सारे बेड फुल हो चुके हैं. लोग अपने बीमार परिजन को लेकर अस्पतालों के चक्कर लागते फिर रहे हैं लेकिन उन्हें भर्ती करने से यह कहकर इनकार कर दिया जा है कि गंभीर मरीजों के लिए जरूरी आइसीयू और वेंटिलेटर सुविधाओं वाले बेड खाली नहीं हैं.
एम्स पटना में आइसीयू व वेंटिलेटर की सुविधाओं वाले कुल 85 बेड हैं. सभी पर मरीज मर्जी हैं. मुंगेर के मनियारचक से मां को एम्स में भर्ती कराने दो दिन पहले आधी रात पटना पहुंचे मनीष कुमार को एम्स पटना से यह कहकर लौटा दिया गया कि आपके मरीज को ब्रेन हेम्ब्रेज हुआ है जिनकी हालत नाजुक है.
गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए एम्स में वेंटिलेटर वाली बेड खाली नहीं है. मुंगेर से बीमार मां पुतुल देवी को बेहतर इलाज कराने की आस लगाये आधी रात एम्स पटना पहुंचे मनीष कुमार को ब्रेन हेम्ब्रेज से ग्रस्त मां को भर्ती कराने एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में भटकना पड़ा.
मनीष बताते हैं कि काफी मशक्कत के बाद पीएमसीएच में मां को भर्ती कराया. एम्स पटना के निदेशक डॉ प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि एम्स में 85 बेड वेंटिलेटर युक्त हैं जो फुल हैं. एम्स इमरजेंसी एंड ट्राॅमा सेंटर हेड डॉ अनिल कुमार ने बताया कि गंभीर रूप से बीमार मरीजों को एम्स में भर्ती नहीं किया जा सकता है जिन्हें वेंटिलेटर की जरूरत है.
Posted by Ashish Jha