Pushpam Priya chaudhary: बिहार के चुनाव में अभी लगभग एक साल का समय है लेकिन चुनाव का माहौल बनाने में तो वक्त लगता है. ऐसे में बिहार में साल 2020 के विधान सभा चुनाव में पूरी दमखम के साथ मुख्यमंत्री पद के लिए मैदान में उतरने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी एक बार फिर एक्टिव हो गई है. उन्होंने बिहार के नाम एक चिट्ठी लिखकर राज्य की सियासत पर जमकर हमला किया.इस चिट्ठी को पुष्पम प्रिया चौधरी ने 26 अगस्त को अपने एक्स हैंडल से पोस्ट किया.
बिहार की आर्थिक एवं राजनीतिक व्यवस्था को बदलना मेरा संकल्प
एक्स पर पोस्ट की हुई चिट्ठी में उन्होंने लिखा- पिछले कुछ दिनों से कई बार मैंने आप सब को ये चिट्ठी लिखने का सोचा. 8 मार्च 2020 को जब आपने मेरा नाम पहली बार सुना था तब भी विरोधियों के शब्दों में उस “करोड़ों के विज्ञापन” का ध्येय मात्र एक ही था – शहरों एवं दूर गाँव में बैठे आप तक, देश-विदेश में काम कर रहे अपने बिहारी भाई-बहनों तक, अपने हाथ से लिखी अपनी बात पहुँचाना था.
आज उस दिन को चार साल हुए. राजनीति में यह एक छोटा समय है. इन चार सालों में मेरे जीवन में और आपके जीवन में भी कई बदलाव आए होंगे लेकिन दो चीजें जो नहीं बदली वो हैं बिहार की आर्थिक एवं राजनीतिक व्यवस्था और इस व्यवस्था को बदलने का मेरा संकल्प.
राजनीति मेरे लिए कोई बैक-अप प्लान नहीं
साल 2019 में मैंने एक ऐसा निर्णय लिया था जिसने मेरा जीवन हमेशा के लिए बदल दिया. बिहार की कभी नहीं बदलने वाली सड़ी व्यवस्था को हमेशा के लिए बदलने के लिए अपना सब कुछ छोड़ना. इस देश की राजनीति के गटर में घुसने के लिए व्यक्तिगत जीवन की तिलांजलि.
औरों की तरह बिहार और राजनीति मेरे लिए कोई बैक-अप प्लान बी न था और न है. बनना कुछ और हो, नहीं बन पाए तो चलो बाप की राजनीति वाला धंधा कर लेते हैं या कहीं से टिकट ख़रीद के फिट हो जाते हैं. या किसी पार्टी में पट नहीं रहा ‘गोटी सेट नहीं हो पा रहा’ तो चलो बिहार के लोगों को गांधी और अंबेडकर का पोस्टर लगा कर झाँसा देते हैं, बिहार के लोग तो “झाँसे में आते ही हैं” मेरे लिए राजनीति झाँसा देने वाला जाल नहीं, आदर्शों के लिए है – आइडियोलॉजी.
बिना स्किल के नेताओं को नेता नहीं मानती पुष्पम प्रिया
पुष्पम प्रिया चौधरी ने आगे चिट्ठी में लिखते हुए कहा कि- मुझे मुख्यमंत्री का पद भगवान का पद नहीं लगता, मात्र एक पद है, हाँ एक शक्तिशाली पद है. जिसपर इन्स्टिट्यूशन बनाने के लिए बैठना ज़रूरी है. और उस पद पर उसे ही बैठना चाहिए जिसे इन्स्टिट्यूशन बदलने आता हो, उसकी समझ हो, पढ़ाई हो. जैसे इलाज उसी को करना चाहिए जो डॉक्टर हो. एक्टर एक्टिंग कर सकता है, क्रिकेटर क्रिकेट खेल सकता है और फ़्रॉड ड्रामा कर सकता है, पर व्यवस्था वही बदल सकता है जिसके पास व्यवस्था बनाने का स्किल-सेट हो. संविधान वही बना सकता है जो संविधान बनाने की समझ रखता हो, सबसे बड़ी बात “नीति और नीयत ” हो. मैं बिना इरादे और बिना स्किल के नेताओं को नेता नहीं मानती और वो जो आज तक नेता जैसा कोई काम भी नहीं कर सके.
2020 में पुष्पम प्रिया की पार्टी ने बिहार में 47 सीटों पर लडा था चुनाव
बता दें की पुष्पम प्रिया चौधरी प्लूरल्स पार्टी की संस्थापक हैं. 2020 में पार्टी ने बिहार की 243 सीटों में से करीब 47 सीटों पर चुनाव लडा था लेकिन पार्टी एक भी सीट नही जीत पाई थी. ऐसे में पुष्पम प्रिया चौधरी एक बार फिर राजनीति के अखाड़े में राजनीतिक धुरंधरों के सामने अपनी जोर आजमाइश करने के लिए मैदान बना रही हैं.लेकिन देखना यह है की कि क्या उनकी पार्टी इस बार कुछ कमाल दिखा पाती है या नहीं.