प्रह्लाद कुमार, पटना. समाज कल्याण विभाग बिहार में भीख मांगने की प्रथा के उन्मूलन के लिए सतत काम कर रही है. विभाग के मुताबिक बिहार में अभी तक 14 हजार भिखारियों को आधार से जोड़ा गया है. वहीं, 207 भिखारियों को स्वावलंबन योजना से जोड़ा गया है और इन्हें 10 हजार रुपया देकर रोजगार शुरू कराया गया है. इन सभी ने भीख मांगना छोड़ दिया है.
मुख्यमंत्री भिक्षावृति निवारण अभियान के तहत अब 13 जिलों में जल्द सेवा व शांति कुटीर की शुरुआत होगी. जहां शारीरिक रूप से विकलांग व घर से निकाले या लावारिस भिखारियों को मुफ्त में रहना, खाना व चिकित्सा की सुविधा दी जायेगी. इस योजना के तहत अभी 12 जिलों में शांति व सेवा कुटीर चल रहा है, जहां 600 भिखारी रहते है. जिनको लघु धंधों से जोड़ा जाता है.
भिखारी और असहाय लोग कुटीर में रह कर अपने हुनर से आगे बढ़ रहे है. जिससे समाज कल्याण विभाग को भी फायदा होता है. इनके द्वारा बनाये गये बैग का इस्तेमाल कई विभागों में हाेने लगा है. वहीं, अन्य तरह की सामग्री यानी, अचार, पापड़ को भी बना रहे है. जिसे बाजार तक पहुंचाया जाने लगा है.
अररिया, औरंगाबाद, गोपालगंज, जमुई, कटिहार, खगड़िया, किशनगंज, रोहतास, पूर्वी और पश्चिम चंपारण, समस्तीपुर, सीतामढ़ी एवं वैशाली.
हर कुटीर में 50 भिखारी रहते है, जो शारीरिक रूप से विकलांग, घर से निकाले, लावारिस होते है. इन्हें जिला प्रशासन के माध्यम से रेस्क्यूकिया जाता है. नये जिलों में कुटीर शुरू होने पर वहां भी जिला प्रशासन ऐसे भिखारियों को रेस्क्यू करेगी, ताकि वह भीख मांगने से दूर होकर खुद की जिंदगी काम करके जी सकें. पटना, गया, नालंदा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, मुंगेर, दरभंगा, सहरसा, सारण एवं भागलपुर में कुल 12 सेवा और शांति कुटीर हैं.
बिहार भिक्षावृति से मुक्त हो. इसको लेकर मुख्यमंत्री की सोच के तहत काम किया जा रहा है. भिखारियों को स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है. उन्हें जागरूक करने के लिए हर स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है.
-मदन सहनी, मंत्री, समाज कल्याण विभाग