अगले महिने से शुरू होगा श्रावणी मेला
बीहट़/बेगूसराय : श्रावणी मेला शुरू होने में महज 12 दिन शेष रह गये हैं,लेकिन अब तक सिमरिया घाट पर प्रशासनिक तैयारियां शुरू नहीं हुई है. विदित हो कि पूरे सावन माह में पवित्र मिथिलांचल की तीर्थ नगरी कहे जाने वाले सिमरिया गंगा घाट पर कांवरियों की भारी भीड़ होती है.
सिमरिया गंगा घाट से पूरे माह लाखों की संख्या में कांवरिया व डाक बम जल भरकर बाबा हरिगिरिधाम,गढ़पुरा एवं लखीसराय के अशोक घाम के लिए रवाना होते हैं. लेकिन अब तक जिला प्रशासन एवं प्रखंड प्रशासन के द्वारा घाटों की सफाई, रोशनी एवं बैरिकेडिंग का कार्य शुरू नहीं किया गया है.
इससे आनेवाले कांवरियों को भारी कुव्यवस्था के बीच ही गंगा में डूबकी लगाने तथा गंगा जल भरने के लिए विवश होना पड़ेगा.
सावन में सिमरिया में रहती है कांविरयों की भारी भीड़:सिमरिया घाट से बड़ी संख्या में भक्त हरिगिरिधाम गढ़पुरा और देवघर के लिए भी जल लेकर यहां से रवाना होते हैं. इतना ही नहीं देवघर से लौट कर बड़ी संख्या में मिथिलांचल के लोग सिमरिया में रुक कर यहां से गंगा जल लेकर अपने घर जाते हैं. इतना महत्वपूर्ण स्थल होने के बाद भी जिला प्रशासन के द्वारा अब तक किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं होना प्रशासनिक लापरवाही को दरसाता है.
गंगा घाट पर सर्वत्र पसरा है कूड़ा-कचरा :सिमरिया गंगा घाट पर हर तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है. मुंडन के बाल,दातुन,कुड़े -कचरे का ढ़ेर और उसमें मुंह मारते पशुओं का झुंड,मल-मूत्र की दुगंध से कांविरयों को परेशानियों का सामना निश्चित रूप से करना पड़ेगा
खतरनाक बने हैं स्नान घाट :स्नान घाटों की तो सबसे बदतर स्थिति है. प्राय: कई घाटों पर स्नान करना खतरे से खाली नहीं है. ऐसे घाटों को न जाने कब प्रशासन द्वारा चिह्नित किया जायेगा और कब बांस-बल्ले से उसकी बैरिकेडिंग की जायेगी. इतना ही नहीं मुख्य स्नान घाट तक जानेवाली सड़क का स्थानीय दुकानदारों द्वारा अतिक्रमण कर संकीर्ण बना देने, बांस-बल्ली के सहारे झूलते बिजली के तारों को व्यविस्थत कराना होगा.
शौचालय की सफाई, शुद्ध पीने का पानी, कपड़ा बदलने के लिए अस्थायी चेंजिंग रूम, घाट से लेकर आने-जाने वाले रास्तों पर समुचित प्रकाश की व्यवस्था,घाट पर मोटरबोट पर महाजाल के साथ गोताखोरों की तैनाती, चिकित्सा केंद्र,सूचना केंद्र एवं सुरक्षा के लिए पर्याप्त पुलिस बलों की तैनाती तथा घाट तक जाने वाले वाहनों का प्रवेश बंद कर उसके लिए पड़ाव की व्यवस्था करने सहित अन्य सुविधाओं की समुचित व्यवस्था करनी होगी. ताकि पैदल आने-जाने वाले कांवरियों को कोई असुविधा न हो.