फर्श पर बैठ पढ़ाई करते हैं बच्चे

बेगूसराय : किसी प्रणाली को बदलने के लिए पांच साल, दस साल या 20 साल का समय पर्याप्त होता है लेकिन बेगूसराय में एक ऐसा विद्यालय है जहां 68 साल गुजर जाने के बाद भी इसकी तसवीर आज भी वही है . आज भी यह विद्यालय अपनी दुर्दशा का बयां करते हुए अपनी टकटकी निगाहों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 20, 2017 12:29 PM
बेगूसराय : किसी प्रणाली को बदलने के लिए पांच साल, दस साल या 20 साल का समय पर्याप्त होता है लेकिन बेगूसराय में एक ऐसा विद्यालय है जहां 68 साल गुजर जाने के बाद भी इसकी तसवीर आज भी वही है . आज भी यह विद्यालय अपनी दुर्दशा का बयां करते हुए अपनी टकटकी निगाहों से किसी उद्धारक की बाट जोह रहा है. जी हां यह है नगर निगम के वार्ड 20 में स्थित प्राथमिक विद्यालय रतनपुर है. स्कूल की दीवारें और जीर्ण -शीर्ण छप्पर अपनी बदहाली की कहानी कुछ इस तरह बयां कर रही है .
जर्जर भवन में हो रही है पढ़ाई : विद्यालय के प्राचार्य प्रमोद कुमार सिन्हा ने बताया कि 1949 में स्थापित यह विद्यालय इसी भवन से शुरू हुआ और आज भी इसी भवन में है. लेकिन इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी इस जीर्ण शीर्ण भवन में कोई सुधार नहीं हुआ. आलम यह है कि जब बारिश होती है तब पढ़ना और पढ़ाना दोनों मुहाल हो जाता है. कमरा विहीन यह विद्यालय है. जिसका अपना भवन तो है लेकिन कक्षाएं नहीं .
इस बाबत प्राचार्य ने बताया कि मेरे यहां वर्ग एक से पांच तक की कक्षाएं चलती हैं लेकिन उसके लिए अलग -अलग कमरे नहीं हैं. कमरा के नाम पर एक बड़ा सा हॉल है और एक बरामदा जहां अलग -अलग बैठा कर कक्षाएं ली जाती हैं.
विद्यालय में उपलब्ध नहीं है किताबें : स्कूल के प्राचार्य ने बताया कि सरकारी किताबें नहीं आने से शिक्षकों को पढ़ाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि हम सारे शिक्षक बच्चों की कॉपियों में लिख कर पढ़ाते हैं और उन्हें होमवर्क देते हैं. उन्होंने बताया कि पुरानी किताबें कुछ उपलब्ध हो जाती हैं जिससे कुछ गरीब तबके के छात्र- छात्राओं को मदद मिल जाती है.

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