दो बहनों ने मुखाग्नि दे िकया मां का श्राद्ध कर्म
बेटियों के जज्बे को लोग कर रहे हैं सलाम श्राद्धकर्म स्थल पर लगी रही लोगों की भीड़ बेगूसराय : आज के इस बदलते परिवेश में बेटियां अपनी सोच से लगातार तरक्की कर मुकाम हासिल कर रही हैं. बेटियों के बढ़ते हौंसले से आज समाज में भी बेटे-बेटियों का फर्क समाप्त होता जा रहा है. कुछ […]
बेटियों के जज्बे को लोग कर रहे हैं सलाम
श्राद्धकर्म स्थल पर लगी रही लोगों की भीड़
बेगूसराय : आज के इस बदलते परिवेश में बेटियां अपनी सोच से लगातार तरक्की कर मुकाम हासिल कर रही हैं. बेटियों के बढ़ते हौंसले से आज समाज में भी बेटे-बेटियों का फर्क समाप्त होता जा रहा है. कुछ इसी तरह का कार्य शहर के काली स्थान के समीप बेगूसराय सेंट्रल कोपरेटिव बैंक में उपाध्यक्ष कमल किशोर सिंह की दो पुत्रियों सौम्या और भाव्या ने कर दिखाया है. जिसे देख कर समाज के लोग न सिर्फ हतप्रभ हैं वरन दोनों सगी बहनों के इस जज्बे को सलाम भी कर रहे हैं.
ज्ञात हो कि कमल किशोर सिंह की 45 वर्षीय पत्नी शिवांजलि सिंह कैंसर से पीड़ित थी. काफी इलाज कराने के बाद पिछले दिनों दिल्ली स्थित एक निजी अस्पताल में उनका निधन हो गया. निधन के बाद जब दाह संस्कार कराने की बारी आयी, तो दोनों सगी बहनों ने निर्णय लिया कि मां के अंतिम संस्कार के समय वह खुद मुखाग्नि देकर उनका श्रार्द्धकर्म करेगी. इसके बाद दोनों बहने अपनी मां के शव को कंधा देते हुए गंगा नदी के किनारे पहुंचीं और वहां दाह संस्कार कर मां को मुखाग्नि दी.चूंकि कमल किशोर सिंह को मात्र दो पुत्रियां ही हैं, इसलिए दोनों बहनों की इस सोच को लोगों ने समर्थन करते हुए निर्णय लिया कि दोनों बहनें ही मां को मुखाग्नि देकर श्राद्धकर्म करेंगी. सोमवार को जब दोनों बहनों ने अपनी मां का श्राद्धकर्म एक बेटे की तरह की किया, तो उपस्थित सैकड़ों लोगों की आंखें नम हो गयीं. इस मौके पर श्राद्ध कर्म कर रही सौम्या व भाव्या ने कहा कि बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं है. बेटी मां का अधिक प्रिय होती है. इसी के तहत हम दोनों बहनों ने यह निर्णय लिया कि हमलोग ही मां का श्राद्धकर्म करेंगे. ज्ञात हो कि दोनों बहन दिल्ली स्थित एक कॉलेज में पढ़ाई कर रही हैं. असमय मां की ममता छिन जाने का गम दोनों बहनों को जरू र है. लेकिन इस बात की आत्मसंतुष्टि मिल रही है कि एक बेटे की तरह दोनों बहनों ने अपना फर्ज निभाया.