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छह वर्ष बीतने के बाद भी कुंभ द्वार अधूरा

बरौनी (नगर) : मिथिला की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में विख्यात सिमरिया का उत्तरायणी गंगा तट न केवल धार्मिक बल्कि पौराणिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है. सिमरिया का गंगा तट बेगूसराय की सांस्कृतिक चेतना की संवाहिनी भी है. यूं तो सिमरिया घाट में विभिन्न संतों के आश्रम हैं, लेकिन यहां आध्यात्मिक दिव्य आलोक फैलाने में […]

बरौनी (नगर) : मिथिला की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में विख्यात सिमरिया का उत्तरायणी गंगा तट न केवल धार्मिक बल्कि पौराणिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है. सिमरिया का गंगा तट बेगूसराय की सांस्कृतिक चेतना की संवाहिनी भी है. यूं तो सिमरिया घाट में विभिन्न संतों के आश्रम हैं, लेकिन यहां आध्यात्मिक दिव्य आलोक फैलाने में सर्वमंगला के स्वामी चिदात्मनजी महाराज के अवदानों को भूलाया नहीं जा सकता.

विगत 40 वर्षों से सिमरिया को सजाने-संवारने में उनके प्रयास से सिमरिया अध्यात्मिक नगरी के रूप में बस तो गया, लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण अब भी पर्यटन स्थल के रूप में विकिसत होने की बाट जोह रहा है.

स्थापत्य कला का बेहतरीन नमूना है चौंसठ योगिनी मंदिर :सिमरिया गंगा तट पर स्थित चौंसठ योगिनी मंदिर अाध्यात्मिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है. मंदिर निर्माण की कला बेजोड़ है. यह देश का चौथा तथा बिहार का दूसरा चौंसठ योगिनी मंदिर है. इस मंदिर में तीन तरह की आकृतियों का समिश्रण है. नीचे से यह मंदिर श्रीयंत्रनुमा प्रतीत होता है, बीच में पिरामिड तथा सबसे ऊपर कमल सदृश आकृति लिये हुए दिखता है.
सिमरिया का इतिहास बयां नहीं कर पायेगा कुंभ द्वार:समुद्र मंथन व अमृत वितरण के विस्तृत इतिहास को जीवंतता प्रदान करने का सर्वमंगला का अनूठा प्रयास जहां सिमरिया धाम के गौरवशाली इतिहास को समृद्ध कर रहा है, वहीं जन आकांक्षाओं का प्रतीक बना कुंभ द्वार किसी उद्धारक की बाट जोह रहा है. वर्ष 2011 में अर्धकुंभ को भव्यता देने के लिए सर्वमंगला परिवार ने कुंभ द्वार का निर्माण शुरू कराया था, जो छह वर्षों के बाद लगने वाले द्वादश महाकुंभ पर भी पूरा नहीं किया जा सका.
महाकुंभ के शुरू होने में महज एक माह से भी कम समय रह गया है. ऐसे में सिमरिया घाट के प्रवेश द्वार पर अर्धनिर्मित कुंभ द्वार को देखकर लोगों के मन में प्रश्न उठ रहा है कि अर्धनिर्मित कुंभ द्वार आखिर कब पूरा होगा. हालांकि कुंभ द्वार को पूर्णता के अभियान में बरौनी थर्मल के महाप्रबंधक अरुण कुमार सिन्हा के साथ विधायक नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगों सिंह के अनुज संजीव कुमार सिंह के सहयोग से स्लैब की ढलाई का काम कराया गया था, परंतु इसके बाद से निर्माण कार्य बंद हो गया.
कुंभ द्वार प्लास्टर और रंग-रोगन के लिए तरस रहा है.
आकर्षण का केंद्र बनी है समुद्र मंथन की प्रतिमा :सिमरिया अनादिकाल से कुंभस्थली रही है. कई धार्मिक ग्रंथों में मिथिला के इस क्षेत्र में समुद्र मंथन के प्रमाण मिलते हैं. सिद्धाश्रम के सर्वमंगला परिवार द्वारा समुद्र मंथन एवं अमृत वितरण के दृश्य की प्रतिमा सिमरिया घाट आनेवाले लोगों को विशेष रूप से आकर्षित करती है. इसके अलावा सिमरिया गंगा तट पर सगुण से लेकर निर्गुण देवी-देवताओं के मंदिर हैं. मां काली मंदिर, राम जानकी मंदिर, हनुमत मंदिर, बाबा काशी मंदिर, चौंसठ योगिनी मंदिर से लेकर गायत्री मंदिर
और कबीर आश्रम तक सिमरिया की अाध्यात्मिक आलोक को चारों दिशा में फैला रहा है. मोक्ष व मुक्ति की भूमि के रूप में सिमरिया गंगा तट अनादिकाल से प्रसिद्ध रहा है.
क्या कहते हैं सर्वमंगला के स्वामी चिदात्मनजी महाराज :स्वामी चिदात्मनजी महाराज ने कहा कि यह सांस्कृतिक उन्मेष की बेला है. दैवीय गुण से संपन्न पुण्यात्माओं का धन कीर्ति, परमार्थ व ईश्वरीय कार्य में लगता है. कुंभ की तैयारी भव्यता के साथ हो, यह सबकी जिम्मेदारी है. यहां न जातिवाद और न ही सांप्रदायवाद की बात है, बल्कि यह मानवता, समाज में सुख-शांति, प्रेम, सद्भावना और भाईचारे की मंगल कामना का धार्मिक उत्सव है.
इसके सफल आयोजन से जिला, राज्य और देश का गौरव बढ़ेगा.
दो ऑटो की टक्कर में छह लोग जख्मी

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