बिहार के बेगूसराय में दुर्गा पूजा में दिखता है सांप्रदायिक सौहार्द का अनोखा संगम, पढ़ें

बेगूसराय : शारदीय नवरात्र में दुर्गापूजा के दौरान सांप्रदायिक सौहार्द का अद्भूत संगम देखना हो, तो आप बिहार के बेगूसराय जिले में आ सकते हैं. जिले के किरोड़ीमल गजानंद दुर्गापूजा समिति के कुल 24 सदस्यों में से 17 लोग मुस्लिम हैं. यह सभी सदस्य पूजा के दौरान पूरे महीने माता की सेवा में जुटे रहते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 27, 2017 4:18 PM

बेगूसराय : शारदीय नवरात्र में दुर्गापूजा के दौरान सांप्रदायिक सौहार्द का अद्भूत संगम देखना हो, तो आप बिहार के बेगूसराय जिले में आ सकते हैं. जिले के किरोड़ीमल गजानंद दुर्गापूजा समिति के कुल 24 सदस्यों में से 17 लोग मुस्लिम हैं. यह सभी सदस्य पूजा के दौरान पूरे महीने माता की सेवा में जुटे रहते हैं. जानकारी के मुताबिक यह लोग साफ-सफाई से लेकर प्रसाद बंटवाने तक का काम करते हैं. पूजा समिति की सदस्य प्रीति बताती है कि सभी लोग सद्भाव के साथ एक दूसरे के साथ मिल जुल कर पूजा करते हैं. वहीं दूसरी ओर समिति के अध्यक्ष अशोक कुमार गोयनका और समिति के सदस्य मो. फारुख बताते हैं कि यह परंपरा हमारे पूर्वजों से चली आ रही है. हम एक साथ मिलकर सबकुछ करते हैं. पास ही मस्जिद और एक मजार भी है. पूजा समिति और मजार में अजान करने वालों के बीच आपसी सामंजस्य ऐसा है कि अजान के वक्त पूजा पंडाल का लाउडस्पीकर बंद कर दिया जाता है. बिहार के बेगूसराय में होने वाली इस पूजा समिति और यहां की पूजा को देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं.

एक तरफ जहां कोलकाता में मुहर्रम और दुर्गा मूर्ति विसर्जन के विवाद को लेकर कोलकाता हाइकोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा और पूरे देश में उसकी चर्चा हुई. वहीं दूसरी ओरबेगूसरायकी इस पूजा समिति की बात ही निराली है. नवरात्र में यह विशाल पूजनोत्सव का आयोजन होता है. इस आयोजन में बराबर के सहभागी बनते हैं, मुस्लिम समुदाय के लोग. पंडाल में काम काज से लेकर साफ-सफाई और पूरे नवरात्र यहां की सेवा की जिम्मेदारी इन्हीं की होती है.

हाथों में झाड़ू और मंदिर की सफाई में जुटे लोग सिर्फ और सिर्फ एक इंसान हैं. इन्हें भले सियासत दां राजनीति में प्रचंड बहुमत का जरिया मानें, लेकिन यह मुस्लिम समुदाय केबेगूसराय के युवाओंकी पहल है. इस साल नहीं शहर में हर साल होने वाली दुर्गा पूजा में इनकी भूमिका बढ़ जाती है. यह मूर्ति और आस-पास के इलाकों की सफाई में जुट जाते हैं. पूजा कोई काम हो तो करने के लिए सबसे पहले आगे आते हैं. इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह दुर्गा पूजा है और उनका धर्म दूसरा. सेवा और संवेदनशीलता के साथ सौहार्द का यह संगम आपकोबेगूसराय में देखने को मिल जायेगा. पूछने पर एक मुस्लिम युवा कहते हैं कि सभी को सहयोग करना चाहिए.

नवरात्र में यहां दूर दराज के अलावा नेपाल से भी श्रद्धालु आते हैं. पूजासमिति कीओरसे सबका बराबर स्वागत होता है, इसलिए पूरे उत्तर बिहार में यहां की पूजा काफी भव्य होती है. हिंदू हो या मुसलमान सिख हो या ईसाई सब लोग यहां मिल जुलकर पूजा को सफल बनाने में हर साल जुट जाते हैं. पूरे देश में मुहर्रम और दुर्गा पूजा एक साथ होने पर एक अजीब तरह का माहौल असामाजिक तत्वों द्वारा तैयार कर दिया जाता है. उस हिसाब से देखें तो बेगूसराय में होने वाली मांदुर्गा की पूजा काफी मायने रखती है. यह पूजा उन लोगों के लिए एक सबक है जो धर्म के आधार पर इंसानियत को बांटने का काम करते हैं.

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