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िदन बढ़ने के साथ व्यापार ने पकड़ी रफ्तार

नोटबंदी . पीओएस का उपयोग भी नहीं है संतोषजनक, रियल इस्टेट कारोबार में भी छायी है मंदी बेगूसराय : नोटबंदी के एक वर्ष पूरे हो गये. आठ नवंबर 2016 की रात्रि में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा देश में नोटबंदी की घोषणा हुई तो सारा देश आश्चर्य में पड़ गया. लोग कई तरह के […]

नोटबंदी . पीओएस का उपयोग भी नहीं है संतोषजनक, रियल इस्टेट कारोबार में भी छायी है मंदी

बेगूसराय : नोटबंदी के एक वर्ष पूरे हो गये. आठ नवंबर 2016 की रात्रि में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा देश में नोटबंदी की घोषणा हुई तो सारा देश आश्चर्य में पड़ गया. लोग कई तरह के आस-निराश में गोते लगाने लगे.इसको लेकर कहीं खुशी तो कहीं गम के माहौल बन गये. पुराने नोट जमा करने की बैंकों में कतार लग गयी.पूरे देश में आर्थिक रूप में कुछ दिनों के लिए अफरा-तफरी का माहौल बन गया था. फिर धीरे-धीरे स्थिति समान्य भी बनती चली गयी.
िदन बितने के साथ ही व्यापार ने पकड़ी रफ्तार पकड़ी.नोटबंदी के एक साल पूरे होने पर इसका असर क्या रहा.काम काज पहले से बेहतर हुआ या जस की तस है या पहले से खराब हुआ इत्यादि विभिन्न रूपों में जिले में वर्तमान समय में क्या है स्थिति व इसके असर की प्रभात खबर की और से पड़ताल की गयी तो कई तरह की रिपोर्ट हासिल हुई है.
कैशलेस लेन-देन का विकास नहीं के बराबर :नोटबंदी के बाद जैसा कि कैशलेस इंडिया की चर्चा थी तो उस आलोक में जिले में कैश लेस नहीं के बराबर हुए हैं.जिले में अभी भी 99 प्रतिशत से भी ऊपर लोग नकद लेन- देन का ही कारोबार कर रहे हैं. यह सही है कि छोटी निकासी में एटीएम का उपयोग ज्यादातर कुछ पढ़े लिखे तकनीकी ज्ञान वाले लोग ही कर रहे हैं.
पीओएस का नहीं के बराबर उपयोग :पीओएस के प्रति लोगों का विश्वास व तकनीकी ज्ञान के अभाव में खास उपयोग नहीं हो रहा है.जिसके कारण बैंकों पर दबाव कम होता नहीं दिख रहा है. विभिन्न बैंकों के प्रबंधकों से बातचीत को यदि आधार मानें तो सिर्फ कुछ पेट्रोल पंप व गिने चुने मॉल में ही पीओएस का उपयोग हो रहा है बाकि जगहों पर पूरे तौर पर नकद लेन- देन पर ही भुगतान कार्य चल रहा है
सर्राफा बाजार में तेजी व रियल स्टेट कारोबार में मंदी:नोटबंदी के साल भर के दौरान सर्राफा बाजार में हल्की तेजी रही तो जमीन खरीद-बिक्री कारोबार पर मंदी छा गयी. इस कारोबार में लगे कई लोग बेरोजगार हो गये. जिले के तेघड़ा, बखरी, बलिया, बेगूसराय सहित चार निबंधन कार्यालयों में सिर्फ बेगूसराय निबंधन कार्यालय में नोटबंदी के एक साल के दौरान लगभग सात करोड़ 30 लाख की खरीद- बिक्री में कमी आंकी गयी. वहीं लगभग 1564 नये डीड में भी कमी दर्ज हुई. पिछले वर्ष आठ नवंबर 2015 से 7 नवंबर 2016 के बीच 7 अरब 9 करोड़ 30 लाख 99 हजार 857 रुपये की खरीद-बिक्री थी जो नोटबंदी के साल भर में घटकर आठ नवंबर 2016 से सात नवंबर 2017 को खबर लिखने तक सात अरब दो करोड़ 42 हजार 796 रुपये पर आ गयी.
क्या कहते हैं लोग
नोटबंदी के आरंभिक दौर में जब नोट की उपलब्धता कम थी तो अधिकांश व्यापार को नुकसान हुआ. परंतु ज्यों-ज्यों नोट की उपलब्धता बढ़ती गयी तो व्यापार की स्थिति सामान्य होती चली गयी.
विजय केडिया,चार्टड एकाउंटेंट
नोटबंदी का हमारे व्यापार पर असर अभी तो जस की तस है. आरंभ में काफी कठिनाईयां आ गयी थी. वो भी कठिनाईयां नहीं आती जब नये 500 के नोट को बैंकों के जरिये मार्केट में उतारकर नोटबंदी की जाती.
मुकेश जैन,व्यवसायी
कृषि पर इसका काफी असर हुआ है. हर फसल पिछड़ती चली गयी. नतीजा हुआ कि किसानों का सिरदर्द भी बढ़ गया. अब जाकर स्थितियों में सुधार आना आरंभ हुआ है.
रामचंद्र ,किसान

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