बिहार : छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में बेगूसराय का लाल शहीद, पिता बेचते हैं अखबार
मंझौल (बेगूसराय) : छत्तीसगढ़ के कांकेर जिलांतर्गत राव घाट में 134 बटालियन के बीएसएफ जवान मंझौल पंचायत एक निवासी उमेश प्रसाद के पुत्र अमरेश कुमार के शहीद होने की खबर से क्षेत्र में सनसनी फैल गयी. लोग शहीद जवान के परिजनों को सांत्वना देने उनके घर पहुंचने लगे. शहीद जवान की माता मंजू देवी के […]
मंझौल (बेगूसराय) : छत्तीसगढ़ के कांकेर जिलांतर्गत राव घाट में 134 बटालियन के बीएसएफ जवान मंझौल पंचायत एक निवासी उमेश प्रसाद के पुत्र अमरेश कुमार के शहीद होने की खबर से क्षेत्र में सनसनी फैल गयी.
लोग शहीद जवान के परिजनों को सांत्वना देने उनके घर पहुंचने लगे. शहीद जवान की माता मंजू देवी के चीत्कार से पूरा माहौल गमगीन हो गया. लोग परिजनों को सांत्वना देने में लगे थे. शहीद अमरेश कुमार की शिक्षा दीक्षा मंझौल में ही हुई. जयमंगला उच्च विद्यालय मंझौल से मैट्रिक पास करने के बाद आरसीएस काॅलेज मंझौल से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद जनवरी 2012 में बीएसएफ जवान के तौर पर चयन हुआ.
चयनित होते ही घर परिवार के लोगों को आर्थिक तंगी से निजात मिलने की उम्मीद जगी थी, परंतु कौन जानता था कि यह खुशी अधिक दिनों तक चलने वाली नहीं है. ग्रामीण शहीद के साथी बताते हैं वह काफी हंसमुख एवं सुशील स्वभाव का व्यक्ति था. छुट्टी में जब कभी वह घर आते तो अपने तमाम साथियों से मिलते.
ड्यूटी पर जाने से पूर्व भी अपने सभी दोस्तों एवं नातेदारों से अवश्य मुलाकात करते. शहीद के साथी बताते हैं वह काफी सुशील स्वभाव का व्यक्ति था. छुट्टी में जब कभी वह घर आते तो अपने तमाम साथियों से मिलते. ड्यूटी पर जाने से पूर्व भी अपने सभी दोस्तों एवं नातेदारों से अवश्य मुलाकात करते.
शहीद के पिता बेचते हैं अखबार : शहीद जवान के पिता वर्षों से अखबार बेचने का काम करते आ रहे हैं. पिता ने कठोर परिश्रम से अपने पुत्र को सफलता के मुकाम तक पहुंचाया.
सूत्र बताते हैं लोगों को भी हर सुबह उमेश का हंसमुख अंदाज में मुस्कुराते हुए आदाब, प्रणाम तथा राधे-राधे की आवाज के साथ दरवाजे पर दस्तक देने का इंतजार रहता है परंतु उक्त घटना ने परिजनों की कमर तोड़ दी है. जानकारी अनुसार शहीद जवान दो भाइयों में छोटे भाई थे. बड़े भाई रूपेश कुमार अस्वस्थ हैं. घर का सारा भार शहीद जवान पर ही था.