तपस्या से ज्यादा श्रेष्ठ है दो-पहर की कथा सुनना : साध्वी मीरा

खोदावंदपुर : पचास हजार वर्ष तपस्या करने से कहीं ज्यादा श्रेष्ठ है दो-पहर की कथा श्रवण करना. कथा सुनने से मनुष्य का न सिर्फ कल्याण होता है,बल्कि जहां तक कथा सुनने वाले मौजूद रहते हैं. वहां पर स्वयं परमपिता परमेश्वर अप्रत्यक्ष रूप से विद्यमान रहते हैं. उक्त बातें अयोध्या से आयी साध्वी मीरा दीदी ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 6, 2018 1:54 AM
खोदावंदपुर : पचास हजार वर्ष तपस्या करने से कहीं ज्यादा श्रेष्ठ है दो-पहर की कथा श्रवण करना. कथा सुनने से मनुष्य का न सिर्फ कल्याण होता है,बल्कि जहां तक कथा सुनने वाले मौजूद रहते हैं. वहां पर स्वयं परमपिता परमेश्वर अप्रत्यक्ष रूप से विद्यमान रहते हैं. उक्त बातें अयोध्या से आयी साध्वी मीरा दीदी ने श्री श्री 1008 महाविष्णु यज्ञ परिसर में श्रोताओं के बीच रामकथा के तीसरे दिन कहीं.
साध्वी मीरा दीदी ने प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि एक बार श्री महाराज विश्वामित्र जी के यहां वशिष्ठ महाराज पहुंचते हैं,और विश्वामित्र जी महाराज वशिष्ठ मुनि को दस हजार वर्ष तपस्या का फल दक्षिणा के रूप में भेंट करना चाहते हैं. उनका मानना था कि तपस्या से बढ़कर कोई अनमोल वस्तु भगवान के लिए नहीं होता है. साध्वी मीरा दीदी के पावन सानिध्य में महायज्ञ स्थल पर चल रहे रामकथा का श्रवण करने शाम के छह बजे से नौ बजे रात्रि तक पंडाल में श्रद्धालुओं की भीड़ जमा रहती है. संपूर्ण इलाके के लोग कथा श्रवण कर भक्तिभाव में लगातार गोते लगाते रहे हैं. यज्ञ में बीडीओ अनुरंजन कुमार, अंचलाधिकारी संतोष कुमार श्रीवास्तव, थानाध्यक्ष रीता कुमारी,मुखिया बेबी देवी, पूर्व मुखिया टिंकू राय,समाजसेवी मणिकांत झा, राजीव झा,महात्मा राय, नूनू झा, राजन कुमार सहित दर्जनों बुद्धिजीवी मौजूद थे.
श्रीराम महायज्ञ में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ :बलिया. भगवान श्रीराम ने गुरु विश्वामित्र का आदेश पाते ही शिवधनुष को अपने हाथों में उठा लिया. प्रत्यंचा चढ़ाते ही धनुष जोर की आवाज के साथ टूट गयी. धनुष टूटने की आवाज सुनकर राजा जनक के दरबार पहुंचे महर्षि परशुराम से लक्ष्मण का गर्मागर्म संवाद हुआ. उक्त बातें अयोध्या के पारस मणि महाराज ने ताजपुर पंचायत के न्यू अलीपुर गांव में चल रहे श्रीराम महायज्ञ में श्री रामकथा सुनाते हुए कही. मीरअलीपुर में आयोजित नौ दिवसीय श्रीराम महायज्ञ के चौथे दिन शुक्रवार की रात राम विवाह के प्रसंग में पारसमणि महाराज ने कहा कि माता-पिता के इच्छा से जो विवाह होता है वहीं सफल होता है. उन्होंने वैवाहिक जीवन जीने के तरीकों पर भी विस्तृत प्रकाश डाला. इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में श्रोताओं ने राम-सीता विवाह के प्रसंग का रसपान किया. इस मौके पर यज्ञ समिति के अध्यक्ष राजकिशोर सिंह, कोषाध्यक्ष रंजेश कुमार, गुंजन कुमार, शुगन कुमार, सेठो सिंह, रंजय सिंह, रामजतन सिंह, अरविंद सिंह, नरेश सिंह, अजय सिंह, विजय सिंह, कृष्ण कुमार सिंह, अर्जुन सिंह, अनिल सिंह, रणजीत सिंह, पिंकल सिंह, मुरारी कुमार, कमली महतो, भावेश झा , नारायण साह, नाटो यादव सहित सभी ग्रामीण मौजूद थे.

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