बेगूसराय : साहित्य महाकुंभ में रामकथा के तीसरे दिन मोरारी बापू ने गंगा की स्वच्छता पर जोर दिया. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि उत्तरवाहिनी मां को गंदा न करें, अविरल और निर्मल बनाने में अपना सहयोग दें.
वहीं रामकथा में उन्होंने कहा कि जगत गुरु शंकराचार्य अपनी-अपनी जगह परम हैं, लेकिन आदि गुरु सिर्फ भगवान शंकर हुए. त्रिभुवन में कोई प्रतिष्ठित है तो वह सिर्फ रामकथा है. उन्होंने प्रसंगवश आंखों की चर्चा करते हुए कहा आंखें चार प्रकार की होती हैं. निर्दोष और ममता, करुणा लिए गौ नेत्र, शरारती और आकर्षित करने वाली मृगनयनी.
बालक जब मां के गर्भ से पैदा लेने के बाद पहली बार आंखें खोलता है तब ऐसा लगता है जैसे भगवान ने कपाट खोल दिये हों और अंत में कमल नेत्र की चर्चा की. उन्होंने आंखों से संबंधित चलचित्र के गीत तेरी आंखों के सिवाय, दुनिया में रखा क्या है और निगाहों-निगाहों में दिल लेने वाले,ये हुनर सीखा कहां से गुनगुनाया. जिसका लोगों ने करतल ध्वनि से समर्थन दिया.
उन्होंने रामचिरत मानस में जड़ हुई चेतना को प्रकट करने के लिए भगवान राम के नौ खोज की बात कही. इसमें सर्वप्रथम माता जानकी की खोज, अहिल्या की खोज, सबरी की खोज, सुग्रीव की खोज, हनुमान की खोज, विभीषण की खोज,लंकापति रावण को निर्वाण देने के लिए मंत्र की खोज और आदि कवि वाल्मीकि की खोज की चर्चा की गयी.
प्रथम राष्ट्रपति को मोरारी बापू ने किया नमन
सिमरिया धाम स्थित साहित्य महाकुंभ के रामकथा में संत मोरारी बापू ने कथा के दौरान स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति और बिहार की माटी के लाल डॉ राजेंद्र प्रसाद की जयंती पर उन्हें याद करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए प्रणाम किया. उन्होंने कहा इतिहास गवाह है कि शैक्षणिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक सहित देश के विकास की हर विद्या में यहां की मिट्टी का अपूर्व योगदान रहा है.