बेगूसराय : माता जानकी स्वयं पृथ्वी की कविता हैं : मोरारी बापू

बेगूसराय : सिमरिया गंगा के संगम स्थली पर आयोजित रामकथा के आठवें दिन मोरारी बापू ने कहा कि आदि कवि वाल्मीकि रामायण में माता जानकी को भी कवयित्री कहा है. माता जानकी स्वयं पृथ्वी की कविता हैं. द्रौपदी को अग्नि की कविता, माता सरस्वती को व्योम की कविता, मां भारती को आसमान की कविता और […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 9, 2018 6:02 AM
बेगूसराय : सिमरिया गंगा के संगम स्थली पर आयोजित रामकथा के आठवें दिन मोरारी बापू ने कहा कि आदि कवि वाल्मीकि रामायण में माता जानकी को भी कवयित्री कहा है. माता जानकी स्वयं पृथ्वी की कविता हैं. द्रौपदी को अग्नि की कविता, माता सरस्वती को व्योम की कविता, मां भारती को आसमान की कविता और माता लक्ष्मी को समुद्र की कविता कहा. माता जानकी सर्जन और कल्याणकारी हैं.
जानकी परम सत्य हैं. बापू ने कहा कि नौ रूपों वाली दुर्गा हर हाथों में शस्त्र धारण करती हैं, लेकिन माता पार्वती कभी शस्त्र धारण नहीं करती हैं, वे करुणा से संहार करती हैं. उन्होंने कहा कि मूल में जो उद्भव है वह सत्य है. सत्य से जगत प्रकट होता है और प्रेम जगत का परिपालन करता है. प्रसंग के दौरान बापू ने कहा कि दिनकर की कविता में करुणा है. बावजूद उसके दिनकर अपनी कविताओं में मानवता को बचाने लिए वीर से खड्ग उठाने के लिए हुंकार भरते दिखायी पड़ते हैं.
बापू ने तीन प्रकार के कामजनित व्यसन मिथ्या भाषण, परस्त्री गमन और बिना अपराध के किसी पर शस्त्र उठाने से बचने की बात कही. उन्होंने कहा कि किसी की निर्दोषता पर बिना जाने शंका नहीं करना चाहिए. यह अपराध है. उन्होंने देश के युवाओं से गुरु पूजा और युवतियों से गौरी की पूजा करने की बात कही.

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