दिनकर की कविता में अभिजन के प्रति विद्रोह : डॉ भगवान

बीहट : दिनकर की कविता में अभिजन के प्रति विद्रोह है. संस्कृति के चार अध्याय में भारत के जिस संस्कृति की वकालत दिनकर करते हैं वह आज खतरे में है. उक्त बातें 111वीं दिनकर जयंती समारोह के चौथे दिन प्रोग्रेसिव सेंट्रल स्कूल सिमरिया में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व प्रसिद्ध आलोचक डॉ भगवान प्रसाद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 20, 2019 6:30 AM

बीहट : दिनकर की कविता में अभिजन के प्रति विद्रोह है. संस्कृति के चार अध्याय में भारत के जिस संस्कृति की वकालत दिनकर करते हैं वह आज खतरे में है. उक्त बातें 111वीं दिनकर जयंती समारोह के चौथे दिन प्रोग्रेसिव सेंट्रल स्कूल सिमरिया में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व प्रसिद्ध आलोचक डॉ भगवान प्रसाद सिन्हा ने कही. उन्होंने कहा अपनी कविताओं में मानव मूल्यों को गढ़ते दिनकर गंभीर दिखते हैं.समता मूलक समाज निर्माण ही दिनकर का वैचारिक पक्ष है.

अगर यह विषमता नहीं मिटी तो वे कहते हैं समर शेष है और यह समर राजनीतिक क्षेत्र के साथ सामाजिक,साहित्यिक व सांस्कृतिक सभी क्षेत्रों में तेज करना होगा. ऐसे में दिनकर की प्रासंगिकता और अधिक हो गयी है.
राष्ट्रकवि दिनकर अभियंत्रण महाविद्यालय बेगूसराय के प्राध्यापक सुधांशु फिरदौस ने इस अवसर पर कहा कि दिनकर की कविता वंचितों और उपेक्षितों के जीवन की हकीकत बयां करती है. कार्यक्रम की शुरुआत गायक रुपेश कुमार के दिनकर की प्रसिद्ध रचना \"माया के मोहक वन\" के गायन से हुआ. कार्यक्र म की अध्यक्षता दिनकर पुस्तकालय अध्यक्ष विश्वंभर सिंह ने किया.
जबकि विद्यालय के शिक्षक अमृत कुमार ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया. अतिथियों का स्वागत पंकज झा ने किया.वहीं विद्यालय की छात्रा सोनाली,काव्या,गोविंद गोपाल,प्रियांशु कुमार,आलोक कुमार,रिया,अंजली,अभिनव सहित अन्य बच्चों ने दिनकर की रचनाओं का पाठ किया.
मौके पर सरपंच प्रतिनिधि विपीन कुमार सिंह,प्रवीण कुमार शर्मा,मनीष कुमार, लक्ष्मणदेव कुमार,कृष्ण कुमार शर्मा ,दिनकर स्मृति विकास समिति के अध्यक्ष संत कुमार, रामनाथ सिंह, प्रवीण प्रियदर्शी, दीनबंधु कुमार,मनीष कुमार मनी,अमृत राज,कन्हैया झा,पिंकी कुमारी,सुष्मिता कुमारी आदि मौजूद थे.

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