धूल, धुआं और आग से हो रहा है प्रदूषण

बेगूसराय : शहर में दिन-प्रतिदिन बढ़ता ट्रैफिक का दबाव चिंता का विषय ही नहीं, बल्कि प्रदूषण का मुख्य कारण भी बनता जा रहा है. हर रोज सड़कों पर नयी-नयी गाड़ियां बढ़ रही है और पेड़ की कटाई करके सड़क का चौड़ीकरण भी किया जा रहा है. लेकिन उन काटे गये पेड़ को स्थापित करने के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 6, 2019 7:24 AM

बेगूसराय : शहर में दिन-प्रतिदिन बढ़ता ट्रैफिक का दबाव चिंता का विषय ही नहीं, बल्कि प्रदूषण का मुख्य कारण भी बनता जा रहा है. हर रोज सड़कों पर नयी-नयी गाड़ियां बढ़ रही है और पेड़ की कटाई करके सड़क का चौड़ीकरण भी किया जा रहा है.

लेकिन उन काटे गये पेड़ को स्थापित करने के लिए किसी भी प्रकार की कोई प्रशासनिक पहल नहीं की जाती है. जिस वजह से शहर में प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है. 2018-19 के वित्तीय वर्ष में बेगूसराय परिवहन विभाग में कुल 34 हजार 613 छोटी-बड़ी गाडि़यों का निबंधन किया गया. ये आंकड़े सिर्फ बेगूसराय परिवहन कार्यालय से निबंधित हैं.
जबकि जिले में ऐसे हजारों वाहन हैं जो दूसरे जिले से भी निबंधित है. जिले में एक अप्रैल 2009 से 31 मार्च 2019 तक वाहनों की संख्या एक लाख 95 हजार 3 सौ 73 आंकी गयी है. शहर में इन दिनों हरहर महादेव चौक से लेकर बलिया बाजार तक कि सड़कें जर्जर है. इन जर्जर सड़कों से निकलने वाली धूल से पूरा वातावरण प्रदूषित होता रहता है.
शहर में नहीं है कचरा प्रबंधन के ठोस इंतजाम :नगर निगम प्रशासन के पास शहर से निकलने वाले कचरे को डंप करने के लिए ठोस उपाय नहीं हैं. जिस वजह से शहर से निकलने वाले कचरे को पहले मुख्य चौराहे पर रखा जाता है.जिसके बाद वहां से उठा कर जेल गेट एवं रमजानपुर में डंप किया जाता है.
नगर निगम के डिप्टी मेयर राजीव रंजन ने कहा कि शहर से निकलने वाले कचरे को पहले तो पुसो चौक, नबाव चौक, मिडिल स्कूल पोखड़िया एवं थाना चौक पर रखा जाता है. इसके बाद इन जगहों से कचरा का उठाव करके जेल गेट एवं रमजानपुर डंपिंग प्वाइंट में फेंका जाता है.
जिले में हैं मात्र 13 वाहन प्रदूषण जांच केंद्र:जिले में चल रही करीब दो लाख गाड़ियों के प्रदूषण जांच के लिए मात्र 13 प्रदूषण जांच केंद्र ही संचालित है.जबकि पांच वाहन प्रदूषण जांच केंद्र शहर में ही संचालित होती है. मोटर यान निरीक्षक गौतम कुमार ने बताया कि जिले में 20 प्रदूषण जांच केंद्र हैं.जबकि 13 चालू अवस्था में है.
अप्रैल 2009 से मार्च 2019 तक जिले में िवभिन्न प्रकार के वाहनों की संख्या
एग्रीकल्चरल ट्रैक्टर- 2 सौ 92
एंबुलेंस- 1
बस- 5 सौ 24
कैंपर वैन- 2
इ रिक्शा- 4 सौ 35
एक्सक्केवेटर कमिर्शयल-1
फायर फाइटिंग व्हीकल-2
भारी व हल्का मालवाहक-7 हजार 4 सौ 76
मैक्सी कैब-12
स्कूटर व मोटरसाइकिल-1 लाख 53 हजार 100
तीन चक्का मोटरसाइकिल व स्कूटर- 1 सौ 3
मोबाइल वर्कशॉप-1
मोपेड- 3 सौ 46
मोटर कैब-4 हजार 4 सौ 10
मोटर कार- 10 हजार 1 सौ 55
ओमनी बस- 2
तीन चक्का मालवाहक-1 हजार 23
तीन चक्का पैसेंजर- 4 हजार 7 सौ 97
तीन चक्का पर्सनल- 12
टावर वैगन-1
ट्रैक्टर कमर्शियल- 7 हजार 8 सौ 32
ट्रेलर एग्रीकल्चर- 44
ट्रेलर कमर्शियल- 4 हजार 7 सौ 84
टोटल वाहन-एक लाख 95 हजार 3 सौ 73
13 प्रदूषण जांच केंद्र हैं संचािलत
बचाव के उपाय
प्रदूषण से सांस से संबंधित बीमारियों के होने का खतरा बना रहता है. प्रदूषण से दमा, एलर्जी और फेफड़ा से संबंधित बीमारी उत्पन्न होती है. प्रदूषण से बचने के लिए सड़क पर निकलने से पूर्व वासेबुल मास्क पहन कर चलें. मास्क की क्वालिटी स्टैंडर्ड होनी चाहिए. गाडि़यों से निकलने वाली धुआं,आग एवं जर्जर सड़क से उठने वाली धूल से प्रदूषण फैलता है.
डॉ विनय कुमार,फिजिशियन एवं छाती रोग विशेषज्ञ

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