बेगूसराय : कहने को बेगूसराय कृषि प्रधान जिला कहलाता है. यहां की बड़ी आबादी के आय का जरिया कृषि पर आधारित है. परंतु सिंचाई की व्यवस्था नहीं रहने से किसानोंं को भारी परेशानी हो रही है. वर्तमान रबी फसल की बुआई परवान पर है.
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160 रुपये प्रति घंटे खरीदना पड़ता है पानी
बेगूसराय : कहने को बेगूसराय कृषि प्रधान जिला कहलाता है. यहां की बड़ी आबादी के आय का जरिया कृषि पर आधारित है. परंतु सिंचाई की व्यवस्था नहीं रहने से किसानोंं को भारी परेशानी हो रही है. वर्तमान रबी फसल की बुआई परवान पर है. खेतों में नमी कम रहने के कारण पटवन की समस्या मुंह […]
खेतों में नमी कम रहने के कारण पटवन की समस्या मुंह बाये खड़ी है. सरकारी सिंचाई व्यवस्था लगभग ठप है. जिससे किसानों को निजी पंपसेट के भरोसे रहना पड़ता है. इसके लिए किसानों को 50 से 160 रुपये प्रति घंटे की दर से चुकाना पड़ता है.
कैसे होगी खेती, सिंचाई व्यवस्था ध्वस्त :प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में नलकूपों की संख्या 284 है. इसमें 37 परित्यक्त नलकूप हैं. जबकि अऊर्जान्वित नलकूप 28 व ऊर्जान्वित नलकूपों की संख्या 219 है. वर्तमान हालात यह है कि नलकूपों की संख्या 151 बंद पड़े हैं. वहीं उद्वह सिंचाई योजना भी बदहाल है.
286 नलकूप और ऑपरेटर मात्र 16 :जानकार बताते हैं कि जिले में सिंचाई व्यवस्था ध्वस्त रहने के कारण ऑपरेटरों की कमी भी है. आंकड़े पर नजर डालें तो जिले में 286 राजकीय नलकूपों के लिए संचालन के लिए महज 16 ऑपरेटर हैं.
सूत्रों की माने तो जिले में नलकूप व उद्वह सिंचाई योजना को सुदृढ़ संचालन के लिए सरकार राजकीय नलकूप व उद्वह सिंचाई के पंप के ऑपरेटरों, विभागीय कर्मियों व अन्य मदों में करीब 15 करोड़ रुपये प्रति वर्ष सरकार के खर्च हो रहे हैं. बावजूद किसानों को सिंचाई के लिए परेशानी हो रही है.
कहीं बिजली नहीं तो कहीं ऑपरेटर नहीं:राजकीय नलकूप अवर प्रमंडल कार्यालय, मंझौल से मिली जानकारी के अनुसार जिले के उत्तरी क्षेत्र में नलकूपों की कुल संख्या 109 है. उक्त कार्यालय के अंतर्गत मंझौल व बखरी अनुमंडल का क्षेत्र शामिल है. इन नलकूपों में से अधिकतर ठप पड़े हुए हैं.
खोदावंदपुर प्रखंड में दस नलकूपों में से नौ ठप हैं. इसी तरह छौड़ाही के 30 में 21 बंद है. चेरियाबरियारपुर के 17 नलकूपों में दस व गढ़पुरा तथा नावकोठी के 19 नलकूपों में से दस का विद्युतीकरण नहीं हुआ है. दो यांत्रिक दोष की वजह से, तो 36 विद्युत आपूर्ति नहीं होने से शोभा की वस्तु बन हुआ है.
वहीं 25 नलकूप दोनों तरह की गड़बडी के कारण बंद पड़े हैं. चेरिया बरियारपुर के मंझौल एक, दो, विक्रमपुर, कोरजाना, बसही, गोपालपुर के नलकूपों में कहीं भी भू-गर्भीय नाला नहीं हैं. वहीं कहीं-कहीं विद्युत ट्रांसफॉर्मर नहीं है. फलत: कोई राजकीय नलकूप दस वर्ष से तो कोई 17 वर्षों से बंद पड़ा है.
छौड़ाही के इब्राहिमपुर, अमारी, राजापुर, भोजा, बरदाहा, पताही, नारायण पीपर, एकंबा आदि गांवों के नलकूप बंद पड़े हैं. किसानों ने कहा कि हर बार हम किसान ही ठगे जाते हैं. किसानों ने बताया कि सरकारी सिंचाई व्यवस्था नहीं रहने के कारण महंगी दर पर पानी खरीद कर सिंचाई करनी पड़ती है.
जीरो टिलेज के तहत गेंहू फसल पहली प्राथमिकता :विभागीय अधिकारी का कहना है कि जिले में जीरो टिलेज के तहत गेहूं की खेती पहली प्राथमिकता है. क्योंकि जीरो टिलेज के तहत खेती करने पर कम लागत में अधिक मुनाफा होता है.
इसलिए सरकार इस पर जोर दे रही है. बताया है कि प्रमाणित बीज 90 क्विंटल, शंकर मक्का 240 क्विंटल, राइस सरसों 21 क्विंटल, गेंहू 2440 क्विंटल, चना 60 क्विंटल 60 प्रतिशत अनुदान पर किसानों को उपलब्ध कराये जा रहे हैं.
बोले िकसान, सिंचाई व्यवस्था की िस्थति िजले में संतोषजनक नहीं
सिंचाई व्यवस्था के अभाव के कारण निजी पंप का सहारा लिया जाता है. ऐसे में निजी पंपों के मालिक मनमाना रेट लेकर पानी देते हैं. मजबूरन खरीदना ही पड़ता है.
सत्यनारायण पोद्दार, किसान
सिंचाई विभाग की लापरवाही के कारण राजकीय नलकूप बंद पड़े हैं. जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. इस ध्यान देने की विशेष जरूरत है
वासुदेव साह, किसान
हमारे बहियार में आधा दर्जन नलकूप हैं जो वर्षों से खराब पड़े हैं. यदि ये नलकूप चालू हो जाये तो किसानों को प्रति वर्ष एक लाख रुपये बचेंगे और खेती में सुविधा होगी.
शिवनारायण महतो, किसान
बेगूसराय जिले में नलकूप योजना का हाल
राजकीय नलकूपों की संख्या 284
परित्यक्त नलकूपों की संख्या- 37
अऊर्जान्वित नलकूपों की संख्या- 28
ऊर्जान्वित नलकूपों की संख्या-219
खराब पड़े नलकूपों की संख्या- 151
लघु सिंचाई प्रमंडल बेगूसराय के तहत लगाये गये नलकूप- 08, सभी डेड
बेगूसराय में उद्वह सिंचाई योजना बदहाल – उद्वह सिंचाई पंपों की संख्या- 86
ऊर्जान्वित पंपों की संख्या- 50
अऊर्जान्वित पंपों की संख्या- 36
विभिन्न कारणों से बंद पड़े पंपों की संख्या- 48
बोले अधिकारी
जिले में राजकीय नलकूप बंद रहने के कई कारण हैं. एक तो ऑपरेटरों की कमी है. दूसरा बिजली का अभाव रहता है. कई जगहों पर नलकूप पूर्णत: मृतप्राय हो चुका है. जिसे दुरुस्त कराने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है.
आरके मिश्रा, कार्यपालक अभियंता, लघु एवं सिंचाई विभाग, बेगूसराय
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