शिक्षक आजीवन शिक्षक ही रहता है
संवाददाता, बड़हरिया (सीवान) आधुनिक युग में जहां गुरुव शिष्य की परंपरा जहां दम तोड़ती नजर आ रही है, वहीं कुछ ऐसे भी शिक्षक हैं जो शिक्षा की लौ को बुझने से बचाने के लिए अपना सर्वस्व लुटाने को तैयार हैं ऐसे ही शिक्षकों में शामिल हैं प्रखंड के दीनदयालपुर मध्य विद्यालय से बतौर प्रधानाध्यापक सेवानिवृत्त […]
संवाददाता, बड़हरिया (सीवान)
आधुनिक युग में जहां गुरुव शिष्य की परंपरा जहां दम तोड़ती नजर आ रही है, वहीं कुछ ऐसे भी शिक्षक हैं जो शिक्षा की लौ को बुझने से बचाने के लिए अपना सर्वस्व लुटाने को तैयार हैं ऐसे ही शिक्षकों में शामिल हैं प्रखंड के दीनदयालपुर मध्य विद्यालय से बतौर प्रधानाध्यापक सेवानिवृत्त विक्रम बाबू उर्फ बजरंग बली.
पढ़े छात्र पहुंचे उच्च पदों परगौरतलब है कि आधा दर्जन छात्र ऐसे रहे है जिनको विक्रमा बाबू अपने खर्च से मंजिल तक पहुंचाया है. श्रीकांत बंगरा के मुसाफिर सिंह व सत्येंद्र सिंह सगे भाई आज दोनों रेलवे में अभियंता हैं. दोनों के सिर से पिता का साया उठा, तो विक्रमा बाबू ने उन्हें न सिर्फ पुत्रवत पाला-पोसा और उनका सारा खर्च वहन कर उन्हें उनके मुकाम तक पहुंचाया़ इसी प्रकार दीनदयालपुर गांव के रामअयोध्या प्रसाद के दोनों
पुत्रों क्रमश:
गंगा विशुन पंडित व दीपक कुमार को उन्होंने पढ़ाया-लिखाया व जब तक खर्च वहन किया, जब तक वे दोनों भाई कामयाबी के शिखर पर नहीं पहुँच गये. आज गंगा विशुन एमइएस दानापुर में अभियंता है तो दीपक जल संसाधन विभाग के गंडक प्रोजेक्ट में बरौली में कनीय अभियंता हैं. किये कई कार्यप्रधानाध्यापक रहते हुए भी उन्होंने विद्यालय के उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण काम किय़े उन्होंने अपने वेतन के पैसे से विद्यालय की चहारदीवारी करायी थी़ साथ ही विद्यालय परिसर में अशोक, बरगद आदि पौधों को लगाया, जो अब छाया देने लगे हैं. किसी के काम आकर अपनी जिंदगी को सार्थक समझने वाले विक्रमा बाबू की धारणा है कि शिक्षक आजीवन शिक्षक ही रहता है़