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मैथिली की परंपरा गौरवमयी

तेघड़ा . लक्ष्मी नारायण मंदिर, आलापुर में मिथिला मंथन के तत्वावधान में एक विशेष चर्चा सत्र का आयोजन किया गया. संरक्षक आचार्य संजय शास्त्री की अध्यक्षता में चर्चा सत्र में डॉ घनाकर ठाकुर ने कहा कि मैथिली की परंपरा गौरवमयी रही है. इसकी गरिमा, महिमा की पुनर्स्थापना करना हर मैथिल प्रेमियों का कर्तव्य है. सत्र […]

तेघड़ा . लक्ष्मी नारायण मंदिर, आलापुर में मिथिला मंथन के तत्वावधान में एक विशेष चर्चा सत्र का आयोजन किया गया. संरक्षक आचार्य संजय शास्त्री की अध्यक्षता में चर्चा सत्र में डॉ घनाकर ठाकुर ने कहा कि मैथिली की परंपरा गौरवमयी रही है. इसकी गरिमा, महिमा की पुनर्स्थापना करना हर मैथिल प्रेमियों का कर्तव्य है. सत्र का संचालन प्रो पीके झा प्रेम ने किया. आगामी 21-22 मार्च, 2015 की दो दिवसीय कार्यशाला मंसूरचक में करने का निर्णय लिया गया. डॉ अशोक कुमार पाठक एवं कल्पकवि उमेश कर्ण ने मिथिलाक्षर एवं मैथिली भाषा पर अपने विचार रखे. कार्यक्रम में सीताराम चौधरी, अजय कुमार चौधरी, रामविलास चौधरी, शंकर झा, राहुल, रामानुज दास, शैलेंद्र चौधरी, धर्मेंद्र चौधरी, संजीत कुमार समेत दर्जनों विद्वान उपस्थित थे. मैथिली परिषद का 27 वां दो दिवसीय सम्मेलन 21-22 दिसंबर, 2014 को सीएम साइंस कॉलेज, दरभंगा में मनाने का निर्णय लिया गया. 21 दिसंबर को कवि सम्मेलन भी होगा.

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