डीजल अनुदान का नहीं मिलता लाभ
* जरूरत के मुताबिक बारिश नहीं होने से धान की फसल पर संकट ।। विपिन कुमार मिश्र ।। बेगूसराय (नगर) : जिले में इस बार मौसम की बेरुखी से अन्नदाता गहरे सदमे में हैं. उम्मीद पर पानी फिर जाने के कारण किसानों की नींद हराम हो गयी है. जुलाई माह में जो वर्षा की उम्मीदें […]
* जरूरत के मुताबिक बारिश नहीं होने से धान की फसल पर संकट
।। विपिन कुमार मिश्र ।।
बेगूसराय (नगर) : जिले में इस बार मौसम की बेरुखी से अन्नदाता गहरे सदमे में हैं. उम्मीद पर पानी फिर जाने के कारण किसानों की नींद हराम हो गयी है. जुलाई माह में जो वर्षा की उम्मीदें लोग पाल रखे थे, उसमें निराशा हाथ लगी है. ऐसे में सरकार ने डीजल अनुदान के लिए राशि भी स्वीकृत की है, लेकिन समय पर इस योजना का लाभ नहीं मिलने से किसानों की नजर में यह योजना जले पर नमक छिड़कने के समान है.
किसानों का मानना है कि डीजल अनुदान की राशि विलंब से मिलती है. इसके चलते किसान इस योजना का लाभ उठा नहीं पाते हैं. साधन संपन्न लोग तो किसी तरह पटवन कर अपनी फसल को बचा लेते हैं, लेकिन जो किसान इंद्र के भरोसे ही आशान्वित रहते हैं, उनके सामने बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है.
* 1,48,526 हेक्टेयर खेती योग्य भूमि
बेगूसराय जिला सुखाड़ और बाढ़ दोनों से प्रभावित है. जिले में कुल 1,48,526 हेक्टेयर खेती योग्य रकबा है. इसके विरुद्ध खरीफ में करीब एक लाख हेक्टेयर बोआई होती है. इसमें दियारा क्षेत्र में कुल 34558 है, जो बाढ़ से प्रभावित है. शेष 65442 हेक्टेयर में मक्का, धान, दलहन, सब्जी, ईख की खेती होती है, जो पानी के अभाव में सूख रही हैं. किसानों के पास क्षमता नहीं है कि इतने महंगे डीजल से पटवन कर सकें.
जिले में सरकारी पटवन के नाम पर राजकीय नलकूप 258, उद्वह सिंचाई 73 हाथी के दांत बने हुए हैं. पूरी तरह से यह विभाग जिले में मृतप्राय है. कृषि विभाग द्वारा वर्षापात प्रतिवेदन 18 प्रखंडों का प्रतिवेदन कैसे तैयार किया गया, यह भी जांच का विषय है.
* पूरा नहीं हुआ रोपनी का लक्ष्य
इस बार राज्य सरकार ने सूखे की स्थिति को देखते हुए जिले में डीजल अनुदान के लिए 188.26 लाख की राशि स्वीकृत की है. इसमें विभाग को लगभग 65 लाख का आवंटन प्राप्त हो भी गया है. इसे सभी प्रखंडों में उपावंटित कर दिया गया है. अब वहां से किसानों को धान व मकई के लिए तीन–तीन व बिचड़े के लिए दो पटवन की राशि दी जायेगी.
इस बार जिले में वर्षा की स्थिति अच्छी नहीं होने को लेकर धान की रोपाई लक्ष्य के अनुरूप नहीं हो पायी है. इस बार जिले में 12 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया था. इसमें 52.34 प्रतिशत ही आच्छदन हो पाया है. हालांकि, दो–तीन दिन पूर्व ही बारिश के बाद इसमें तेजी आयी है.