कोणार्क से गुजरते हुए नाटक का मंचन
तसवीर-नाटक का मंचन करते कलाकारतसवीर-9बेगूसराय(नगर). दिनकर भवन में दीपक सिन्हा निर्देशित एवं जगदीशचंद्र माथुर लिखित कोणार्क से गुजरते हुए नाटक का मंचन किया गया. श्री सिन्हा ने कहा कि कोणार्क सत्ता का केंद्र रहा है. सत्ता के निर्माण में शिल्पियों की भूमिका तब भी थी और आज भी है. कोणार्क में शिल्पियों के द्वारा कोणार्क […]
तसवीर-नाटक का मंचन करते कलाकारतसवीर-9बेगूसराय(नगर). दिनकर भवन में दीपक सिन्हा निर्देशित एवं जगदीशचंद्र माथुर लिखित कोणार्क से गुजरते हुए नाटक का मंचन किया गया. श्री सिन्हा ने कहा कि कोणार्क सत्ता का केंद्र रहा है. सत्ता के निर्माण में शिल्पियों की भूमिका तब भी थी और आज भी है. कोणार्क में शिल्पियों के द्वारा कोणार्क मंदिर निर्माण वस्तुत: एक उदाहरण है. शिल्पियों पर यह दायित्व है कि वह किस तरह का सत्ता निर्माण चाहते हैं. धर्मपद की भूमिका में आलोक और शैवालिक की भूमिका में अमरेश ने नाटक को गति बनाये रखा. मुकुंद की भूमिका में मोहित मोहन, विशु की भूमिका में सचिव, महेंद्र वर्मन की भूमिका में रत्नांक और नरसिंह देव वर्मन की भूमिका में पंकज कुमार पंकज ने उत्कृष्ट भूमिका निभायी. निर्देशक दीपक सिन्हा ने चालुक्य की भूमिका में ऐतिहासिकता से परे होकर नाटक को सरस बनाया. नाटक में प्रकाश व्यवस्था, रोशन, मनोज, दिलीप और संगीत पर पंकज, विपुल, मदन एवं द्रोण और कोरस की भूमिका यथार्थ और गाथा ने सहयोग किया.