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सामूहिक प्रयास से ही अतिक्रमणमुक्त होगा सिमरिया घाट….

करनी होगी वैकल्पिक व्यवस्थाबीहट़ मिथिलांचल का प्रसिद्ध सिमरिया घाट प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक परंपराओं का केंद्र रहा है. सिमरिया घाट के विकास एवं आनेवाले तीर्थयात्रियों के सुख-दुख में शामिल यहां के दुकानदारों, पंडा समाज एवं अध्यात्म का जोत जलानेवाले विभिन्न मंदिरों के साधु-संत समाज की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है. दु:खद बात […]

करनी होगी वैकल्पिक व्यवस्थाबीहट़ मिथिलांचल का प्रसिद्ध सिमरिया घाट प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक परंपराओं का केंद्र रहा है. सिमरिया घाट के विकास एवं आनेवाले तीर्थयात्रियों के सुख-दुख में शामिल यहां के दुकानदारों, पंडा समाज एवं अध्यात्म का जोत जलानेवाले विभिन्न मंदिरों के साधु-संत समाज की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है. दु:खद बात यह है कि करीब 40-50 वर्षों के बाद रेल प्रशासन यहां की भूमि को अतिक्रमण बता कर उनके आशियानें को उजाड़ने पर अमादा दिख रहा है. स्थानीय लोगों के द्वारा उनकी इस कार्रवाई का विरोध स्वाभाविक है, जबकि उनके माध्यम से उक्त जमीन के एवज में जिला प्रशासन को लाखों रुपये के राजस्व की प्राप्ति होती है. मां गंगा सिमरिया घाट सेवा समिति के अध्यक्ष प्रो इंद्रकांत झा, उपाध्यक्ष निदेश प्रसाद राय, महासचिव रामजी झा, मल्हीपुर दक्षिण पंचायत की मुखिया सुनीता देवी, श्यामशंकर झा, अनिल सिंह, राजेश झा आदि ने बताया कि अतिक्रमण का मामला व्यावहारिक तरीके से रेल प्रशासन एवं जिला प्रशासन को सुलझाना होगा. वहीं सर्वमंगला सिद्धाश्रम के रवींद्र ब्रह्मचारी, सनातन भारती, पंगू बाबा आदि ने कहा कि सिमरिया घाट पर लगनेवाला राजकीय कल्पवास मेला सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठान हेतु विभिन्न प्रांतों के श्रद्धालु पहुंचते हैं. ऐसे में सिमरिया घाट स्थित सांस्कृतिक व आध्यात्मिक धरोहरों से अतिक्रमण के नाम पर छेड़छाड़ का विरोध होगा.

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