अपनी अस्तत्वि बचाने के लिए संघर्ष कर रहा पुस्तकालय
अपनी अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहा पुस्तकालय तसवीर 9- बदहाल पड़ा पुस्तकालयनावकोठी. प्रखंड अंतर्गत ग्राम नावकोठी में अवस्थित सीताराम पुस्तकालय अपने प्रखंड का एक आदर्श पुस्तकालय जर्जरता के कारण बदहाली पर आंसू बहा रहा है. पुस्तकालय का अपना 3 कट्ठा 19 धूर जमीन रहने के बावजूद स्थिति बदहाली के कगार पर है. चहारदीवारी […]
अपनी अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहा पुस्तकालय तसवीर 9- बदहाल पड़ा पुस्तकालयनावकोठी. प्रखंड अंतर्गत ग्राम नावकोठी में अवस्थित सीताराम पुस्तकालय अपने प्रखंड का एक आदर्श पुस्तकालय जर्जरता के कारण बदहाली पर आंसू बहा रहा है. पुस्तकालय का अपना 3 कट्ठा 19 धूर जमीन रहने के बावजूद स्थिति बदहाली के कगार पर है. चहारदीवारी के अभाव के कारण जमीन सिकुरता जा रहा है. आदर्श पुस्तकालय होने के बावजूद सिर्फ एक कमरा है, वह भी जर्जर हालत में पहुंच चुका है. छत के क्षतिग्रस्त होने के कारण पुस्तकों के रख-रखाव में भी काफी कठिनाइयां उत्पन्न होती है. साहित्यिक, धार्मिक तथा राजनीतिक ग्रंथों का अनूठा संग्रह इस पुस्तकालय समाहित है. यह पुस्तकालय कई ग्रामों जैसे नावकोठी, डफरपुर, छतौना, चक्का, हसनपुर बागर, रजाकपुर के लिए पठन-पाठन के क्षेत्र में वरदान साबित हुआ है. इस आदर्श पुस्तकालय को अपना वाचनालय भी नहीं है. पुस्तकालय सहित जनप्रतिनिधियों से अनुदान की गुहार लगायी गयी, परंतु आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला. ग्रामीण विकास कार्यों में भी इस आदर्श पुस्तकालय का अहम भूमिका रही है. सभ्यता और संस्कृति को अक्षुण्ण रखनेवाला यह धरोहर सीताराम पुस्तकालय आज अपनी अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है. पुस्तकालय परिवार सभी जनप्रतिनिधियों सहित प्रशासन की ओर आस भरी निगाहें लगाये हुए हैं, ताकि कोई इसका उद्धारक हो. रूपेश कुमार, महासचिव, पुस्तकालय समितिप्रखंडस्तरीय आदर्श पुस्तकालय होने के कारए वाचनालय का होना बहुत जरूरी है. पृथ्वीराज सिंह, पूर्व सरपंच : पुस्तकालय के जीर्णोद्धार में प्रशासन सहित जनप्रतिनिधियों को आगे आना चाहिए. रीना जायसवाल, मुखिया, नावकोठी