नेपाल की सरहद पर डैम बनाने की आवश्यकता

नेपाल की सरहद पर डैम बनाने की आवश्यकताबिहार को बाढ़ से बचाने के लिए बेगूसराय सांसद ने लोस में उठायी आवाजतसवीर-सांसद डॉ भोला सिंह.तसवीर-14बेगूसराय (नगर). बिहार को बाढ़ से बचाने के लिए शुक्रवार को बेगूसराय के सांसद डॉ भोला सिंह ने लोकसभा सदर में शून्य काल के दौरान इस मामले को उठाते हुए सरकार से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 4, 2015 7:30 PM

नेपाल की सरहद पर डैम बनाने की आवश्यकताबिहार को बाढ़ से बचाने के लिए बेगूसराय सांसद ने लोस में उठायी आवाजतसवीर-सांसद डॉ भोला सिंह.तसवीर-14बेगूसराय (नगर). बिहार को बाढ़ से बचाने के लिए शुक्रवार को बेगूसराय के सांसद डॉ भोला सिंह ने लोकसभा सदर में शून्य काल के दौरान इस मामले को उठाते हुए सरकार से नेपाल में डैम बनाने की मांग की. सांसद डॉ सिंह ने कहा कि बिहार संभावनाओं का राज्य है. विडंबनाएं कदम-कदम पर इन्हें परेशान करती रही है. इसकी मिट्टी, इसकी जलवायु एवं मानवीय शक्ति तथा प्रकृति की भंगिमाओं ने इंद्रधनुषी स्वरूप का निर्माण किया है. असंख्य नदियां गंगा की हजारों किलोमीटर की धरा को पखारती है. बूढ़ी गंडक, कोसी, अधवारा समूह की नदियां इसका शाश्वत जलाभिषेक करती है, पर राजनीति के दंश ने इसे लहुलुहान कर रखा है. यह बीमारू राज्य के रूप में आज भी कलंकित स्वरूप लिए हुए है. यह इसकी आकृति नहीं, बल्कि राजनीति की दी हुई है. सांसद ने इस समस्या को रखते हुए सदन का ध्यान आकृष्ट करा कर कहा कि बिहार सर्वधर्म संभाव की जन्मभूमि एवं विराट प्रतिभाओं की जननी है, पर ये आज प्रतिवर्ष भीषण बाढ़ व सुखाड़ से प्रताड़ित है. उत्तर बिहार में जहां प्रतिवर्ष बाढ़ से करोड़ों की क्षति होती रही है. वहीं, दक्षिण बिहार प्रतिवर्ष भयानक सुखाड़ का हिस्सा रहा है. राजनीति प्रतिवर्ष तथा प्रति पंचवर्ष में इसकी बाढ़ और सुखाड़ को चुनाव का मुद्दा बना कर अंगूठा दिखाती रही है. सांसद ने कहा कि कोशी शोक नदी के रूप में आज भी इसके रग-रग को तोड़ती रही है. गंगा अपने कटाव और बाढ़ से इसे परेशान करके रखा है. अन्य नदियां भी अपनी उग्रता प्रतिवर्ष प्रदर्शित करती रही है. ऐसी अवस्था में बिहार के प्राण केंद्र के हाथ में गिरवी के रूप में पड़ी हुई है. कोसी नेपाल से आती है. नेपाल की सरहद पर डैम बनाने की आवश्यकता है. उससे सिंचाई की व्यवस्था हो सकती है. केंद्र सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, नतीजा है कि आज भी पूर्व की स्थिति बनी हुई है.

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