जरा संभल कर,कहीं पांव में मोच न आ जाये

भगवानपुर : प्रखंड क्षेत्र के दामोदरपुर से पासोपुर तक जानेवाली करीब तीन किलोमीटर सड़क अत्यंत जर्जर अवस्था में है. इस सड़क का पक्कीकरण नहीं होने से लोगों में काफी आक्रोश है. इस जर्जर सड़क के माध्यम से ही दामोदरपुर पंचायत सहित अन्य गांवों के राहगीर प्रतिदिन आते-जाते हैं. इसी सड़क से लोगों को भगवानपुर बाजार, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 5, 2015 1:15 AM
भगवानपुर : प्रखंड क्षेत्र के दामोदरपुर से पासोपुर तक जानेवाली करीब तीन किलोमीटर सड़क अत्यंत जर्जर अवस्था में है. इस सड़क का पक्कीकरण नहीं होने से लोगों में काफी आक्रोश है. इस जर्जर सड़क के माध्यम से ही दामोदरपुर पंचायत सहित अन्य गांवों के राहगीर प्रतिदिन आते-जाते हैं. इसी सड़क से लोगों को भगवानपुर बाजार, अस्पताल, थाना, प्रखंड व अंचल कार्यालय आना-जाना पड़ता है. लोगों को सबसे अधिक परेशानी बरसात के दिनों में होती है. हल्की सी भी बारिश होने के बाद इस सड़क से यात्रा करना काफी खतरनाक व मुश्किल भरा होता है.
इस सड़क का निर्माण आज से 30 वर्षों पूर्व आरइओ द्वारा कराया गया था. अब यह सड़क काफी बदतर अवस्था में पहुंच गयी है, परंतु इसकी मरम्मती की दिशा में किसी तरह की कोई पहल नहीं की जा रही है. हालांकि प्रधानमंत्री सड़क योजना के द्वारा इसके पुनरुद्धार की स्वीकृति मिल चुकी है. लेकिन निर्माण कार्य की शुरुआत कब होगी यह कहना मुश्किल है.
स्कूल जाने में बच्चों को परेशानी :सड़क की बदतर स्थिति के कारण छोटे-छोटे स्कूली बच्चों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. सड़क में बने गड्ढों के कारण छोटे बच्चों के पांव लड़खड़ा जाते हैं और वे गिर कर चोटिल हो जाते हैं. वहीं साइकिल से स्कूल जानेवाले छात्र-छात्राएं भी गड्ढे के कारण गिर कर हमेशा हाथ-पैर जख्मी कर लेते हैं. साथ ही गरमी के दिनों में सड़क पर उड़ रहे धूल के कारण भी उन्हें काफी परेशानी होती है. ऐसी सड़क पर बरसात के दिनों में नन्हे-मुन्ने कैसे आते-जाते होंगे सोच कर ही मन में खीझ पैदा होती है.
मरीजों को अस्पताल ले जाने में परेशानी :सड़क की दुर्दशा से वृद्ध लोगों व मरीजों की मर्ज और बढ़ जाती है. दर्द से तड़पते मरीजों को हिचकोले खाती गाड़ियों पर ले जाने से उनकी तकलीफें और बढ़ जाती हैं. सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाने के क्रम में होती है. एक तो दर्द से वह तड़प रही है, ऊपर से वाहनों के उठा-पटक पर उसकी क्या हालत होगी कहना मुश्किल है.
समस्या से बेफ्रिक हैं जनप्रतिनिधि :30 वर्षों से इस समस्या का निराकरण नहीं हुआ है. इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को भी इस पंचायत के लोगों को वोट लेने तक मतलब है. अल्पसंख्यक बहुल इस इलाके में जनप्रतिनिधि भी उनके साथ वर्षों से नाइंसाफी करते रहे हैं. इससे अब ऐसे जनप्रतिनिधियों के प्रति लोगों में आक्रोश पनप रहा है.

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