वाचिका परंपरा के आंदोलन के कवि थे वद्रिोही

वाचिका परंपरा के आंदोलन के कवि थे विद्रोही बेगूसराय(नगर). शहर के दिनकर कला भवन में कवि रमाशंकर यादव विद्रोही के निधन पर शोकसभा का आयोजन किया गया. शोक सभा को संबोधित करते हुए जसम के राज्य उपाध्यक्ष सह रंगकर्मी दीपक सिन्हा ने कहा कि विद्रोही वाचिका परंपरा के आंदोलन के कवि थे. उनकी कविताएं विद्रोह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 13, 2015 7:31 PM

वाचिका परंपरा के आंदोलन के कवि थे विद्रोही बेगूसराय(नगर). शहर के दिनकर कला भवन में कवि रमाशंकर यादव विद्रोही के निधन पर शोकसभा का आयोजन किया गया. शोक सभा को संबोधित करते हुए जसम के राज्य उपाध्यक्ष सह रंगकर्मी दीपक सिन्हा ने कहा कि विद्रोही वाचिका परंपरा के आंदोलन के कवि थे. उनकी कविताएं विद्रोह की आवाज थी. उनकी कविताएं सत्तापक्ष के इतिहास, मानवीय संवेदना के खिलाफ हो रहे प्रचार के खिलाफ आवाज उठाती है. उनका निधन जसम और हिंदी साहित्य के लिए अपूरणीय क्षति है. इस मौके पर रंगकर्मी परवीन कुमार गुंजन ने कहा कि विद्रोही जी की कविता स्त्रीयों की त्रासदी और त्रासदी के खिलाफ उठने और खड़ा होने की कविता थी. इस मौके पर रंगकर्मी विजय सिंहा ने कहा कि उनकी कविताओं में नई खेती, जन प्रतिरोध, हमारी दुनिया समेत अन्य रचनाएं काफी चर्चित रही है. शोकसभा में रंगकर्मी विजय कुमार, मदन द्रोण, हरिशंकर ठाकुर, मनोज, खुशबू, चंदन वत्स, चंदन कुमार, संतोष राही, सचिन, उमाशंकर उमंग समेत अन्य रंगकर्मी उपस्थित थे.

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